पराली प्रबंधन के लिए बिहार सरकार की बड़ी पहल, ऐसे करें स्ट्रॉ बेलर मशीन पाने के लिए आवेदन

बिहार सरकार ने स्ट्रॉ बेलर मशीन पर सब्सिडी के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को आसान बना दिया है. किसान बिहार सरकार की अधिकारिक बेबसाइट पर जरूरी दस्तावेज अपलोड कर 80 फीसदी तक की वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 9 May, 2025 | 01:45 PM

बिहार सरकार ने किसानों को पराली प्रबंधन के लिए बड़ी सौगात दी है. अब किसान स्ट्रॉ बेलर मशीन पर भारी सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं. इसके लिए आवेदन प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन और आसान बना दिया गया है. किसान farmech.bihar.gov.in पोर्टल पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. जरूरत है सिर्फ कुछ जरूरी दस्तावेजों की और थोड़ी सी जानकारी की. इस योजना से किसानों को न सिर्फ पराली जलाने से बचाव मिलेगा, बल्कि इसका सही उपयोग करके वे अतिरिक्त आमदनी भी कमा सकेंगे.

ऐसे करें आवेदन?

इस योजना का लाभ लेने के लिए बिहार कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. सबसे पहले, किसानों को DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) पोर्टल पर पंजीकरण करना है, जिसमें आधार नंबर, नाम और मोबाइल नंबर जैसी जानकारी भरनी होती है. OTP से वेरिफिकेशन के बाद किसान farmech.bihar.gov.in पर जाएं और Apply to Get Subsidy विकल्प चुनें.

इसके बाद किसान को यंत्र का प्रकार चुनना है, व्यक्तिगत जानकारी भरनी है और जरूरी दस्तावेज में आधार कार्ड, भू-स्वामित्व प्रमाणपत्र, बैंक पासबुक की कॉपी और पासपोर्ट साइज फोटो अपलोड करनी होगी. फॉर्म सबमिट करने के बाद आवेदन की जांच होगी और पात्र पाए जाने पर सब्सिडी सीधे बैंक खाते में भेजी जाएगी. इस मशीन की खास बात यह है कि कम्बाइन हार्वेस्टर से फसल कटाई के बाद खेत में बचे अवशेषों को समेटकर उन्हें बेल (गट्ठर) का रूप देती है.

कितनी मिलेगी सब्सिडी?

इस योजना में सरकार सामान्य श्रेणी के किसानों को स्क्वायर बेलर या रेक्टेंगुलर बेलर पर अधिकतम 40 फीसदी या 5,28,000 रुपये तक की सब्सिडी दे रही है. जबकि SC/ST किसानों को 50 फीसदी या 6,60,000 रुपये तक अनुदान दे रही है. वहीं रैक रहित बेलर मशीन पर सामान्य किसानों को 75 फीसदी या 2,25,000 रुपये और SC/ST किसानों को 80 फीसदी या 2,50,000 रुपये तक की सहायता दी जा रही है.

कौन ले सकता है योजना का लाभ?

इस योजना का लाभ बिहार के सभी पंजीकृत किसान उठा सकते हैं. इसके साथ ही स्वयं सहायता समूह (SHG), किसान उत्पादक संगठन (FPO) और कस्टम हायरिंग सेंटर भी इस योजना के पात्र हैं. खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए यह योजना बेहद लाभकारी है, क्योंकि वे इन महंगे यंत्रों को किराए पर लेकर भी उपयोग कर सकते हैं.

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Published: 9 May, 2025 | 01:45 PM

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