उत्तराखंड में जून की ठंड ने तोड़ा 10 साल का रिकॉर्ड, फिर निकले स्वेटर और कंबल

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ मंदिर क्षेत्र में इस महीने ताजा बर्फबारी हुई है, जो जून के लिए काफी असामान्य है. जोशीमठ जैसे इलाकों में लोग इस ठंडक के कारण स्वेटर और कंबल निकालने लगे हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 6 Jun, 2025 | 11:06 AM

उत्तराखंड में इस बार जून का मौसम कुछ अलग अवतार में नजर आ रहा है. जहां आमतौर पर इस महीने पसीना छुड़ा देने वाली गर्मी होती है, वहीं इस बार ठंडी हवाओं और लगातार हो रही प्री-मॉनसून बारिश ने तापमान को इतना गिरा दिया है कि पिछले दस सालों का रिकॉर्ड टूट गया है. न केवल पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी हुई है, बल्कि मैदानों में भी ठंडक ने लोगों को एसी और कूलर बंद करने पर मजबूर कर दिया है. आइए जानते हैं कि इस ठंडक के पीछे की असली वजह क्या है और इसका हमारे जीवन पर क्या असर पड़ रहा है.

बारिश और ठंडक के पीछे का कारण

राज्य के मौसम विभाग के अधिकारियों के अनुसार, मार्च से मई तक लगातार हुई बारिश, जो पश्चिमी विक्षोभ और हवा में नमी के बढ़ने के कारण हुई, इस तापमान गिरावट की मुख्य वजह है. इस साल की प्री-मॉनसून बारिश सामान्य से कहीं ज्यादा रही, जिससे गर्मी का असर कम हुआ और जंगलों में आग लगने की घटनाएं भी बहुत कम हुईं.

मौसम विभाग के निदेशक डॉ. बिक्रम सिंह ने बताया, बारिश की लगातार मौजूदगी ने न केवल तापमान को कम रखा बल्कि जंगलों में आग की घटनाओं को भी घटाया, जिससे मौसम और भी सुहावना बना हुआ है. वहीं इस बार गर्मी का समय लगभग खत्म हो चुका है और मानसून के दस्तक देने वाला है. बंगाल की खाड़ी से लगातार आ रही नमी और पश्चिमी विक्षोभ की वजह से तापमान में उछाल आने का मौका ही नहीं मिला.

पर्वतीय इलाकों में बर्फबारी

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ मंदिर क्षेत्र में इस महीने ताजा बर्फबारी हुई है, जो जून के लिए काफी असामान्य है. जोशीमठ जैसे इलाकों में लोग इस ठंडक के कारण स्वेटर और कंबल निकालने लगे हैं. लोगों का कहना है कि “हमें जून में स्वेटर पहनने पड़ रहे हैं, जो पिछले 30 सालों में पहली बार हुआ है.”

नॉर्मल से 8 डिग्री कम तापमान

देहरादून में इस हफ्ते का अधिकतम तापमान सामान्य से 8 डिग्री कम दर्ज किया गया. शहर में दिन का तापमान लगभग 27.6 डिग्री सेल्सियस रहा, जो जून के लिए बहुत कम है. रात का तापमान भी 17.3 डिग्री रहा, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे कम जून का न्यूनतम तापमान है.

हालांकि ठंडक से लोगों को राहत मिली है, लेकिन पर्यावरण विशेषज्ञ इस बदलाव को लेकर चिंतित भी हैं. गर्मी के मौसम का इतना छोटा होना हमारे पेड़-पौधों, फसलों, फल-फूल और खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है. यह दुनिया के लिए एक गंभीर चेतावनी है.

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