देश की मशहूर डेयरी कंपनी अमूल ने स्पष्ट किया है कि 22 सितंबर से पाउच दूध की कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा. पाउच दूध पर हमेशा से जीएसटी शून्य प्रतिशत लागू रहा है, इसलिए इसकी कीमतें पहले जैसी ही बनी रहेंगी. कंपनी के प्रबंध निदेशक जयन मेहता ने मीडिया को बताया कि पाउच दूध की कीमतों में कटौती के कुछ खबरें गलत हैं.
पाउच दूध पर कोई असर नहीं
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि नए GST 2.0 फ्रेमवर्क के तहत पाउच दूध के दाम 3-4 रुपये कम हो सकते हैं. लेकिन जयन मेहता ने इसे गलत बताया और कहा कि पाउच दूध हमेशा से जीएसटी में छूट वाला रहा है, इसलिए इसका दाम पहले जैसा ही रहेगा.
सिर्फ यूएचटी दूध पर राहत
इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के अनुसार, अमूल ने स्पष्ट किया कि केवल लॉन्ग-लाइफ UHT दूध के दाम घटेंगे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित GST 2.0 सुधारों के तहत UHT दूध पर जीएसटी 5 फीसदी से शून्य कर दिया गया है. इसका मतलब है कि अब यूएचटी दूध पहले की तुलना में सस्ता मिल सकेगा.
UHT दूध क्या है?
UHT का मतलब Ultra High Temperature (अल्ट्रा हाई टेम्परेचर) है. इस प्रक्रिया में दूध को कम से कम 135°C (275°F) पर कुछ सेकंड के लिए गर्म किया जाता है. इससे लगभग सभी सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं और दूध लंबे समय तक सुरक्षित रहता है. इसके साथ टेट्रा पैक जैसे एसेप्टिक पैकेजिंग का उपयोग किया जाता है, जिससे UHT दूध कई महीने तक फ्रिज के बिना भी सुरक्षित रहता है.
GST सुधार का मकसद
3 सितंबर को वित्त मंत्री ने नया GST फ्रेमवर्क पेश किया, जिसे “Next-Gen GST Reform” कहा गया. इसका मुख्य उद्देश्य आम लोगों की खरीदारी की लागत कम करना और देश की अर्थव्यवस्था को गति देना है. GST काउंसिल की 56वीं बैठक में कर दरों को दो स्लैब में बदलने का फैसला किया गया: 5 फीसदी और 18 फीसदी, जिससे पहले के 12 फीसदी और 28 फीसदी स्लैब को मिलाकर सरल बनाया गया.
इस सुधार से घरेलू उपयोग की वस्तुएं, जैसे राशन और दैनिक जरूरत की चीजें, सस्ती होंगी. छोटे और बड़े व्यवसायों को भी लाभ मिलेगा क्योंकि अब जीएसटी प्रणाली आसान और कम जटिल होगी. किसानों को उत्पादन और बिक्री में राहत मिलेगी, जिससे कृषि और डेयरी उत्पादों की कीमतें स्थिर रहेंगी.
आम लोगों और उद्योग के लिए फायदे
GST कटौती से सिर्फ उद्योग को ही नहीं, बल्कि घरों में दूध की लागत कम होगी. खासतौर पर यूएचटी दूध अब सस्ता मिलने से परिवारों के बजट पर असर कम होगा. साथ ही डेयरी और पैकेजिंग उद्योग को भी उत्पादन लागत में राहत मिलेगी.