सरकार का बड़ा फैसला: एथेनॉल उत्पादन के लिए भेजे जाएंगे टूटे चावल, लोगों को मिलेगा साफ-सुथरा अनाज

सरकार ने एथेनॉल बनाने के लिए 52 लाख टन चावल अलग से देने का फैसला किया है, जिसमें सिर्फ 100 फीसदी टूटे हुए चावल ही होने चाहिए. इससे यह चावल डिस्टिलरी में सीधे एथेनॉल बनाने के लिए इस्तेमाल होगा, और बेहतर चावल आम लोगों तक पहुंच सकेगा.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 25 Jul, 2025 | 08:17 AM

देश में लोगों को बेहतर गुणवत्ता वाला चावल मुहैया कराने और सरकारी गोदामों का अनावश्यक बोझ घटाने के लिए केंद्र सरकार ने एक नया कदम उठाया है. अब भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास मौजूद करीब 50 लाख टन चावल के स्टॉक में टूटे हुए चावल के दाने (Broken Rice) की मात्रा कम की जाएगी. इससे चावल की गुणवत्ता सुधरेगी और उसे बाजार में बेहतर कीमत पर बेचा जा सकेगा.

क्या है सरकार की योजना?

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, सरकार की यह योजना पिछले साल चार राज्यों पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में की गई एक पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद लाई गई है. तब इन राज्यों के कुछ मिलों से कहा गया था कि वे 15 फीसदी टूटे चावल को बाकी चावल से अलग करके जमा करें. अब इसी प्रक्रिया को बड़े स्तर पर लागू किया जा रहा है.

इसके तहत यदि कोई चावल मिल FCI को 100 क्विंटल चावल दे रही है, तो वह 85 क्विंटल चावल अलग देगी जिसमें 10 फीसदी टूटे दाने होंगे, और बाकी 15 क्विंटल पूरी तरह टूटे दानों वाला चावल अलग होगा. इस पूरी प्रक्रिया से जो अच्छा चावल बचेगा (10 फीसदी से कम टूटे दाने वाला), उसकी गुणवत्ता और कीमत दोनों बेहतर होंगी.

क्यों की जा रही है ये पहल?

इसका एक बड़ा कारण एथेनॉल उत्पादन भी है. सरकार ने एथेनॉल बनाने के लिए 52 लाख टन चावल अलग से देने का फैसला किया है, जिसमें सिर्फ 100 फीसदी टूटे हुए चावल ही होने चाहिए. इससे यह चावल डिस्टिलरी में सीधे एथेनॉल बनाने के लिए इस्तेमाल होगा, और बेहतर चावल आम लोगों तक पहुंच सकेगा.

कहां बिकेगा टूटे चावल?

भविष्य में सरकार इन टूटे दानों वाले चावल को सरकारी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के जरिए भी देने पर विचार कर रही है. हालांकि अभी यह फैसला नहीं लिया गया है कि इसे किस क्षेत्र में लागू किया जाएगा. फिलहाल यह चावल डिस्टिलरी कंपनियों को सीधे चावल मिल से ही नीलामी के जरिए बेचा जाएगा ताकि ट्रांसपोर्ट, भंडारण और फोर्टिफिकेशन जैसे खर्चों में बचत हो सके.

गेहूं पर क्या बोले एक्सपर्ट्स

एक्सपर्ट्स के अनुसार, ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत अब गेहूं बेचने की जरूरत नहीं है क्योंकि देश में इस बार गेहूं की पैदावार रिकॉर्ड स्तर पर हुई है 117.5 मिलियन टन. इस बार 30 मिलियन टन गेहूं की सरकारी खरीद भी हो चुकी है. इससे बाजार में पर्याप्त आपूर्ति है और कीमतें स्थिर हैं.

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