2034 तक भारत की एक चौथाई चीनी बदलेगी एथेनॉल में, गन्ना किसानों की होगी चांदी

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की कई नीतियों और योजनाओं के कारण भारत में गन्ने से एथेनॉल बनाने की दिशा में बड़ा समर्थन मिल रहा है. इससे तेल आयात पर निर्भरता घटेगी और किसानों को उनकी फसलों के लिए बेहतर बाजार भी मिलेगा.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 23 Jul, 2025 | 11:11 AM

भारत में चीनी देश की एनर्जी पॉलिसी का भी अहम हिस्सा बनती जा रही है. OECD और FAO की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2034 तक भारत अपनी कुल चीनी का 22 फीसदी हिस्सा एथेनॉल प्रोडक्शन में इस्तेमाल करेगा. वर्तमान में यह आंकड़ा फिलहाल करीब 9 फीसदी है. यह बदलाव न सिर्फ पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि चीनी इंडस्ट्री और किसानों के लिए भी एक नई राह खोलता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की कई नीतियों और योजनाओं के कारण भारत में गन्ने से एथेनॉल बनाने की दिशा में बड़ा समर्थन मिल रहा है. इससे तेल आयात पर निर्भरता घटेगी और किसानों को उनकी फसलों के लिए बेहतर बाजार भी मिलेगा.

दुनिया में भारत का चीनी कारोबार

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब भी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है. निर्यात के मामले में ब्राज़ील और थाईलैंड के बाद तीसरे स्थान पर बना रहेगा. हालांकि, भारत का ग्लोबल एक्सपोर्ट शेयर केवल 8 फीसदी रहने की उम्मीद है.

हालांकि, बीते कुछ सालों में भारत में चीनी उत्पादन को लेकर उतार चढ़ाव देखने को मिला है. जैसे एक तरफ रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद, तो दूसरी तरफ मौसम की मार से उत्पादन में गिरावट है. इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें भी हिली हैं. इस साल की शुरुआत में अच्छी फसल की उम्मीद से चीनी के दाम गिरे, लेकिन फरवरी 2025 में जब उत्पादन घटने की खबरें आईं, तो दाम फिर से उछले.

उत्पादन और खपत का अनुमान

2034 तक एशिया में चीनी उत्पादन का 42 फीसदी हिस्सा भारत से आने की उम्मीद है. 87 लाख टन का उत्पादन भारत अकेले करेगा, जो पूरे एशिया में सबसे ज्यादा होगा. इसके बाद थाईलैंड (3.6 मिलियन टन) और चीन (2 मिलियन टन) का नंबर होगा.

चीनी की खपत भी बढ़ेगी

भारत, इंडोनेशिया और पाकिस्तान जैसे देशों में जनसंख्या और कमाई में बढ़ोतरी के चलते आने वाले दशक में प्रोसेस्ड फूड और मीठे ड्रिंक्स की मांग में इजाफा होगा. इससे चीनी की घरेलू खपत भी तेजी से बढ़ेगी.

जैसे-जैसे चीनी का बड़ा हिस्सा एथेनॉल में बदला जाएगा, वैसे-वैसे किसानों को अपने गन्ने के लिए नए बाजार और स्थिर कीमतें मिलने की संभावना बढ़ेगी. यह ग्रीन एनर्जी और खेती कमाई दोनों में सुधार का दरवाजा खोल सकता है.

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Published: 23 Jul, 2025 | 11:03 AM

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