किसानों को डबल नुकसान, बारिश से 2000 एकड़ में लगी फसल चौपट.. अब फिर से करेंगे बुवाई

जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. सुखदेव कम्बोज ने कहा कि ज्यादातर प्रभावित खेत खारेपन वाले इलाके में आते हैं. उन्होंने कहा कि हम किसानों को कम पानी में पकने वाली और जल्दी तैयार होने वाली धान की किस्में जैसे पूसा 1509, 1692, 1847 (बासमती) और पंजाब 126 (परमाल) लगाने की सलाह दे रहे हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 23 Jul, 2025 | 11:08 AM

Crop Damage In Haryana: हरियाणा के सिरसा जिले के नथूसरी चोपटा ब्लॉक में हाल की भारी बारिश ने सात गांवों में 2,000 एकड़ से ज्यादा फसल को तबाह कर दिया है. कपास, ग्वार और मूंगफली की फसलें जलभराव की वजह से बुरी तरह खराब हो गई हैं, जिनमें सबसे ज्यादा नुकसान कपास को हुआ है. कई किसान अब खराब हुई कपास की फसल को जोतकर उसकी जगह धान की खेती करने को मजबूर हैं, क्योंकि धान पानी में ज्यादा टिकता है. लेकिन इससे किसानों पर आर्थिक बोझ और बढ़ रहा है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, रूपाना गंजा में 400 एकड़, रूपाना बिश्नोई में 300 एकड़, शक्कर मंडूरी में 500 एकड़, शाहपुरिया में 150 एकड़, नहराना में 150 एकड़, टरकावाली में 100 एकड़ और चाहरवाला में 50 एकड़ की खेती जलभराव से डूबी हुई है. इनमें शक्कर मंडूरी, रूपाना गंजा और रूपाना बिश्नोई सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जहां करीब 1,200 एकड़ कपास की फसल खराब हो गई है. शक्कर मंडूरी के एक किसान ने कहा कि मुझे अपनी पूरी 7 एकड़ कपास की फसल जोतनी पड़ी. मोटर से पानी निकालने के बाद भी खेतों में पानी जमा रहा, जिससे पौधे सड़ गए. अन्य किसानों ने भी ऐसे ही नुकसान की बात कही.

किसान फिर से करेंगे फसल की बुवाई

खास बात यह है कि इनमें से कई किसानों ने जमीन लीज पर ली थी और पहले ही कपास की फसल पर प्रति एकड़ करीब 10,000 रुपये खर्च कर चुके थे. अब उन्हें धान की बुआई और तैयारी के लिए हर एकड़ पर 6,000 से 8,000 रुपये और खर्च करने पड़ रहे हैं. राज कसनिया नाम के किसान ने कहा कि ये दोहरा नुकसान है. बारिश के बाद खारा पानी ऊपर आ जाता है, जिससे मिट्टी भी खराब हो जाती है. ऐसे में किसान क्या कर सकता है?

बारिश से स्थिति और बिगड़ सकती है

वहीं, कुछ किसानों का कहना है कि हालात और भी बिगड़ सकते हैं क्योंकि ‘सेम नाला’ ओवरफ्लो हो रहा है और खेतों का पानी नहीं निकल पा रहा है. किसानों को डर है कि अगर नाले का किनारा टूट गया तो आस-पास के गांवों में पानी भर जाएगा और खड़ी फसलें और तबाह हो जाएंगी. किसानों ने आरोप लगाया कि उन्होंने कई बार शिकायत की, लेकिन फिर भी मॉनसून से पहले नाले की सफाई नहीं की गई, जिससे अब यह संकट और बढ़ गया है. किसानों ने सरकार से अपील की है कि खास गिरदावरी (फसल नुकसान का सर्वे) करवाई जाए और उन्हें नुकसान का मुआवजा दिया जाए.

धान की इस किस्म की खेती करें किसान

जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. सुखदेव कम्बोज ने कहा कि ज्यादातर प्रभावित खेत खारेपन वाले इलाके में आते हैं. उन्होंने कहा कि हम किसानों को कम पानी में पकने वाली और जल्दी तैयार होने वाली धान की किस्में जैसे पूसा 1509, 1692, 1847 (बासमती) और पंजाब 126 (परमाल) लगाने की सलाह दे रहे हैं. इन किस्मों को 33 फीसदी कम पानी लगता है और ये लगभग 100 दिन में तैयार हो जाती हैं. डॉ. कम्बोज ने यह भी कहा कि मौसम के लगातार बदलते मिजाज के कारण अब कपास की खेती और ज्यादा जोखिम भरी हो गई है. इस साल सिरसा जिले में 1.47 लाख एकड़ में कपास और 1.5 लाख एकड़ में धान की खेती हुई है.

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Published: 23 Jul, 2025 | 11:04 AM

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