केले की खेती पर बड़ा खतरा, 2080 तक 60 फीसदी क्षेत्र हो सकते हैं प्रभावित

एक नए अध्ययन के अनुसार, दुनियाभर के लगभग दो-तिहाई हिस्से में 2080 तक केला उगाने के लिए उपयुक्त जलवायु नहीं रहेगी. इससे न केवल फसलें बर्बाद हो रही हैं, बल्कि किसानों की आजीविका भी दांव पर है.

नई दिल्ली | Published: 14 May, 2025 | 03:01 PM

दुनिया का सबसे पसंदीदा फल, केला, अब जलवायु परिवर्तन के खतरे से जूझ रहा है. यह खबर न केवल केले के शौकिनों के लिए, बल्कि उन लाखों किसानों के लिए भी चिंता का कारण है, जिनकी आजीविका इस फसल पर निर्भर करती है. दुनिया भर में सबसे ज्यादा खाए जाने वाले फल के रूप में केला हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है. लेकिन अब, जलवायु परिवर्तन ने इसके उत्पादन और भविष्य पर गंभीर संकट पैदा कर दिया है.

दरअसल, लेटिन अमेरिका और कैरेबियन जैसे क्षेत्रों में केले की खेती करने वाले किसान, जलवायु परिवर्तन के कारण बड़ी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. ऐसा ही हाल दुनियाभर के केला किसानों का भी है. एक नए अध्ययन के अनुसार, दुनियाभर के लगभग दो-तिहाई हिस्से में 2080 तक केला उगाने के लिए उपयुक्त जलवायु नहीं रहेगी. लगभग 60 फीसदी क्षेत्र इससे प्रभावित हो सकते हैं.

इतना ही नहीं जलवायु परिवर्तन से न केवल फसलें बर्बाद हो रही हैं, बल्कि किसानों की आजीविका भी दांव पर है. बढ़ती गर्मी, अधिक बारिश और जलवायु से जुड़ी बीमारियां अब इन क्षेत्रों में केले की खेती के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी हैं.

केला-दुनिया का सबसे लोकप्रिय फल

केला दुनिया का सबसे ज्यादा खाया जाने वाला फल है और यह चौथी सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल है, जिसके बाद गेहूं, चावल और मक्का आते हैं. इस फल की विशेषता यह है कि यह लगभग 400 मिलियन लोगों के दैनिक आहार का एक अहम हिस्सा बन चुका है. भारत जैसे देशों में केले के अनेकोों इस्तेमाल हैं.

जलवायु परिवर्तन से बढ़ रही बीमारियों का खतरा

केला एक बहुत ही संवेदनशील फल है, जो केवल खास तापमान में उगता है. इसके लिए 15°C से 35°C का तापमान और सीमित मात्रा में पानी जरूरी होता है. लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण यह स्थिति बिगड़ती जा रही है. तूफान, भारी बारिश और असमान मौसम के कारण केले के पौधे प्रभावित हो रहे हैं. इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के कारण फंगस और बैक्टीरिया जैसी बीमारियां भी फैल रही हैं, जो फसल को पूरी तरह से नष्ट कर सकती हैं. विशेष रूप से, ब्लैक लीफ फंगस और फ्यूसारियम जैसी बीमारियां अब तेजी से फैल रही हैं और इस फसल को तबाह कर रही हैं.

सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाली किस्म

केले की कई किस्में हैं, लेकिन सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली किस्म ‘कैवेंडिश’ है, जो अधिक पैदावार देती है और स्वाद में भी अच्छी होती है. यह किस्म बाकी किस्मों की तुलना में जलवायु परिवर्तन के प्रति ज्यादा संवेदनशील है. इसकी जैविक विविधता की कमी के कारण यह किस्म जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली समस्याओं का ज्यादा शिकार हो रही है.

केले की खेती से लाखों किसानों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है. अगर जलवायु परिवर्तन के कारण केले की पैदावार में कमी आई, तो इन किसानों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो जाएगा.