अब उत्तर प्रदेश के गांवों की तस्वीर बदल रही है. जहां पहले बरसात के मौसम में सड़कें टूट जाती थीं, वहां अब ऐसी सड़कें बन रही हैं जो सालों तक टिकेंगी. खास बात यह है कि इन सड़कों को बनाने में आमतौर पर बेकार समझे जाने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस पहल से न सिर्फ गांवों को बेहतर सड़क मिल रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी यह एक अहम कदम साबित हो रहा है.
अब गांवों की सड़कें होंगी मजबूत और टिकाऊ
उत्तर प्रदेश के गांवों की तस्वीर अब तेजी से बदल रही है. राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत गांवों की पुरानी और टूटी-फूटी सड़कों का नवीनीकरण किया जा रहा है. सबसे खास बात यह है कि इन सड़कों को बनाने में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे न केवल सड़कें ज्यादा मजबूत बन रही हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिल रही है.
प्लास्टिक से बन रहीं पक्की सड़कें
अब तक हम प्लास्टिक को केवल कचरा समझते थे, लेकिन सरकार ने इसे उपयोगी बना दिया है. सड़क निर्माण में प्लास्टिक को बिटुमिनस कॉन्क्रीट के साथ मिलाकर उपयोग किया जा रहा है. इससे बनी सड़कें बारिश, गर्मी और भारी वाहनों के दबाव को भी बेहतर तरीके से झेल पा रही हैं. इस तकनीक से उत्तर प्रदेश के 35 जिलों में 171 सड़कों (लगभग 1121 किलोमीटर लंबाई) का नवीनीकरण किया गया है. इनमें से 605 किलोमीटर से ज्यादा सड़कें पूरी हो चुकी हैं और इनमें करीब 690 टन वेस्ट प्लास्टिक का उपयोग हुआ है.
नई तकनीक से घटेगा प्रदूषण
उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के सीईओ अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत प्रदेश में 306 सड़कों (कुल लंबाई 1911.30 किमी) का नवीनीकरण किया जा रहा है. इन सड़कों पर ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए चार नई तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है. ये तकनीकें हैं सीजीबीएम तकनीक, कोल्ड मिक्स बिटुमिनस कॉन्क्रीट, एमएसएस तकनीक और वेस्ट प्लास्टिक मिश्रित बिटुमिनस कॉन्क्रीट. इन सभी तकनीकों का उपयोग 30 मिमी मोटाई की परत में किया जा रहा है. यह काम उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद के मार्गदर्शन में प्रोत्साहन धनराशि से कराया जा रहा है.
सड़कें मजबूत होंगी तो गांव तरक्की करेगा – उप मुख्यमंत्री
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि सड़कें केवल रास्ता नहीं होतीं, यह गांवों की तरक्की की नींव होती हैं. जब सड़कें अच्छी होंगी तो गांवों से शहरों तक आना-जाना आसान होगा. इससे गांव के लोगों को रोजगार, व्यापार और शिक्षा के बेहतर मौके मिलेंगे. साथ ही, टूरिज़्म और लोकल व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा.
सरकार का मानना है कि यह पहल न सिर्फ गांवों को जोड़ने का काम कर रही है, बल्कि प्लास्टिक कचरे की समस्या का भी समाधान दे रही है. इससे पर्यावरण को भी फायदा मिल रहा है और गांवों में जीवन स्तर भी सुधर रहा है.