तमिलनाडु नागरिक आपूर्ति विभाग ने वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए राशन सामग्री की होम डिलीवरी (Home Delivery) को लेकर पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. यह सेवा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत चावल, चीनी, गेहूं, पाम ऑयल और तूर दाल जैसी जरूरी चीजों की होम डिलीवरी के रूप में दी जाएगी. यह पायलट प्रोजेक्ट चेन्नई समेत 10 जिलों में शुरू किया गया है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हर जिले के दो तालुकों में कम से कम 10 राशन दुकानों को इस योजना के लिए चुना गया है. चेन्नई के अलावा जिन जिलों में यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ है, वे हैं तिरुनेलवेली, शिवगंगा, डिंडिगुल, रानीपेट, इरोड, धर्मपुरी, नागपट्टिनम, नीलगिरी और कुड्डलोर.
इन लोगों को मिलेगा लाभ
सहकारिता और खाद्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह योजना उन राशन कार्डधारी परिवारों को कवर करेगी जिनके सभी सदस्य या तो 18 साल से कम उम्र के हैं या 70 साल से ज्यादा उम्र के हैं. इसके अलावा, वे परिवार भी शामिल होंगे जिनके सभी सदस्य दिव्यांग हैं. इस पहल के तहत चेन्नई के साउथ जोन की 10 राशन दुकानों को चुना गया है, जो लगभग 650 राशन कार्डधारकों को सेवाएं देंगी.
15 लाख लोगों को फायदा होगा
इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत जरूरी राशन 5 जुलाई से पहले घर-घर पहुंचाया जाएगा. इस योजना को अगले एक-दो हफ्तों में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन आधिकारिक रूप से लॉन्च करेंगे. यह योजना तमिलनाडु के 38 जिलों के 2.21 करोड़ राशन कार्डधारकों में से करीब 15 लाख लोगों को फायदा पहुंचाएगी. इस पायलट स्टडी का मकसद योजना को लागू करते समय आने वाली चुनौतियों को पहचानना और उनके समाधान ढूंढना है.
बुधवार को वेलाचेरी तालुक की एक राशन दुकान से एक मिनी वैन राशन सामग्री लेकर वेलाचेरी की 100 फीट रोड के पास के रिहायशी इलाकों में पहुंची. इस वैन में वजन करने की मशीन, पॉइंट ऑफ सेल (PoS) मशीन और जरूरी राशन सामग्री मौजूद थी. नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारी और स्टाफ भी इस दौरान मौजूद थे.
आइरिस स्कैनर का विकल्प दिया गया
खास बात यह है कि जिन लोगों की उंगलियों के बायोमेट्रिक काम नहीं करते, उनके लिए अब आइरिस स्कैनर का विकल्प दिया गया है. राशन की डिलीवरी के दौरान दुकानों के कर्मचारियों ने चावल और चीनी को लाभार्थियों के सामने तौला और उन्हें सौंपा. एक अधिकारी ने कहा कि बायोमेट्रिक पहचान में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए फिंगरप्रिंट मिलान का मानक 90 फीसदी से घटाकर 60 फीसदी कर दिया गया है. इससे पहचान की प्रक्रिया अब तेजी से हो रही है.