कम बारिश वाले इलाकों में किसानों के लिए सरकार का बड़ा तोहफा, बाजरा की खेती पर मिल रही सब्सिडी

उत्तर प्रदेश सरकार श्री अन्न (मोटा अनाज) की खेती को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर सब्सिडी दे रही है. इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि स्वास्थ्य और पोषण के स्तर में भी सुधार आएगा.

Kisan India
नोएडा | Published: 22 Jul, 2025 | 10:40 PM

उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए अच्छी खबर है. योगी सरकार अब कम बारिश वाले इलाकों में किसानों की मदद के लिए आगे आई है. सरकार की ओर से बाजरा की खेती पर भारी सब्सिडी दी जा रही है, ताकि किसान कम लागत में अच्छी पैदावार लेकर मुनाफा कमा सकें. खास बात यह है कि बाजरा एक पौष्टिक और सेहतमंद अनाज है, जिसकी बाजार में मांग तेजी से बढ़ रही है.

पोषण से भरपूर श्री अन्न

बाजरा को श्री अन्न कहा जाता है और यह सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. बदलते लाइफस्टाइल और बढ़ती हेल्थ अवेयरनेस के चलते अब लोग गेहूं-चावल की जगह बाजरा को अपने खाने में शामिल कर रहे हैं. इसमें फाइबर, प्रोटीन, विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स, कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें एंटीऑक्सिडेंट्स भी होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. यही वजह है कि अब बाजरा और इससे बने प्रोडक्ट्स की डिमांड मार्केट में तेजी से बढ़ रही है.

सरकार की सब्सिडी योजना से किसानों को राहत

उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को बाजरा की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है. इसके लिए बीजों पर भारी सब्सिडी दी जा रही है. सरकारी योजना के तहत सामान्य बाजरा बीजों पर 50 फीसदी तक की सब्सिडी दी जा रही है, जबकि हाइब्रिड बाजरा बीजों पर 150 प्रति किलो तक की सब्सिडी मिल रही है. यह सब्सिडी राज्य के कृषि बीज भंडारों के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है. इसका फायदा यह है कि किसानों की लागत काफी हद तक कम हो जाती है. साथ ही, साल 2022-23 से सरकार बाजरा की एमएसपी पर खरीद भी कर रही है, जिससे किसानों को फसल का उचित मूल्य मिल रहा है.

कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल

बाजरा की खेती उन इलाकों में भी की जा सकती है जहां पानी की कमी होती है. इसकी बुवाई अगस्त के अंत तक की जा सकती है और यह सिर्फ 80-85 दिनों में तैयार हो जाती है. अगर किसी किसान की धान की फसल असफल हो जाती है तो वह विकल्प के तौर पर बाजरा की खेती कर सकता है. क्योंकि बाजरे की फसल से प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है. कम लागत और अधिक मांग के चलते यह फसल किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है. खासकर उन क्षेत्रों में जहां बारिश कम होती है, वहां बाजरा एक बेहतर विकल्प है.

उत्तर प्रदेश के 30 जिले में हो सकते हैं सबसे ज्यादा लाभार्थी

उत्तर प्रदेश के लगभग 30 जिले ऐसे हैं जहां हर साल औसत से कम वर्षा होती है. इन जिलों में पारंपरिक फसलें  जैसे धान और गन्ना उगाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है. ऐसे में बाजरा एक स्मार्ट चॉइस के रूप में उभरकर सामने आ रहा है. यह फसल सिर्फ 400-500 मिमी बारिश में भी अच्छी पैदावार देती है. सरकार की इस पहल से इन जिलों के किसानों को नई उम्मीद मिली है और वे कम बारिश के बावजूद अच्छी खेती कर पा रहे हैं.

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