सरकारी सब्सिडी पर नियम सख्त, गाड़ी और ज्यादा जमीन वालों को अब नहीं मिलेगा सस्ता राशन

हिमाचल प्रदेश ने पांच लाख से अधिक संदिग्ध लोगों की सूची जारी की है. इस सूची में शामिल लोगों की जांच के बाद ही राशन का वितरण किया जाएगा. खाद्य आपूर्ति विभाग और ग्रामीण विकास विभाग ने मिलकर यह काम संभालना शुरू कर दिया है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 12 Sep, 2025 | 09:50 AM

हिमाचल प्रदेश में सस्ते राशन का लाभ अब उन लोगों तक ही सीमित रहेगा जिन्हें इसकी वास्तव में जरूरत है. राज्य और केंद्र सरकार मिलकर एनएफएसए (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम) के तहत अपात्र लोगों को बाहर करने की तैयारी कर रही हैं. इसमें वे लोग शामिल होंगे जिनके पास चार पहिया वाहन, ज्यादा जमीन या पक्का मकान है, साथ ही जो छह महीने से राशन नहीं ले रहे हैं. इसका उद्देश्य सरकारी सब्सिडी का लाभ केवल गरीब और जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचाना है.

केंद्र की नई पहल

हिमाचल प्रदेश ने पांच लाख से अधिक संदिग्ध लोगों की सूची जारी की है. इस सूची में शामिल लोगों की जांच के बाद ही राशन का वितरण किया जाएगा. खाद्य आपूर्ति विभाग और ग्रामीण विकास विभाग ने मिलकर यह काम संभालना शुरू कर दिया है. जांच में देखा जाएगा कि किसी परिवार के पास चार पहिया वाहन है, कितनी जमीन है, मकान का दर्जा क्या है और वे कितने समय से राशन का लाभ ले रहे हैं.

किसे होगा फायदा

इस कदम से सरकारी सब्सिडी का फायदा केवल वास्तविक जरूरतमंद लोगों को ही दिया जाएगा. हिमाचल में करीब 7 लाख परिवार एनएफएसए के तहत राशन ले रहे हैं. वर्तमान में हर सदस्य को 2 किलो चावल और 2.8 किलो आटा सस्ते दाम पर मिलते हैं. इसके अलावा चीनी 13 रुपये प्रति किलो, दालें और तेल भी बाजार से सस्ते दाम पर उपलब्ध कराए जाते हैं. नए नियम लागू होने के बाद यह सुविधा सिर्फ उन्हीं परिवारों को मिलेगी जो गरीबी रेखा के अंदर आते हैं.

जांच की प्रक्रिया

खाद्य आपूर्ति विभाग विशेष रूप से उन लोगों की जांच करेगा जो छह महीने से राशन नहीं ले रहे, दो जगह से राशन ले रहे, चार पहिया वाहन रखते हैं या टैक्स दे रहे हैं. वहीं, ग्रामीण विकास विभाग ज्यादा जमीन और पक्के मकान रखने वालों की स्थिति देखेगा. जांच के बाद अपात्र लोगों की सूची केंद्र सरकार को भेजी जाएगी, और उन्हें राशन वितरण से बाहर कर दिया जाएगा.

पारदर्शिता और सही वितरण

इस पहल से एनएफएसए का कामकाज और अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत होगा. सरकार की कोशिश है कि राशन केवल उन्हीं तक पहुंचे जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है और अपात्र लोग इसका गलत फायदाउठा सकें.

हिमाचल के इस कदम से पूरे देश में राशन वितरण की पारदर्शिता बढ़ाने का एक नया उदाहरण पेश किया जा रहा है. यह कदम गरीबों की मदद के साथ-साथ सरकारी संसाधनों के सही उपयोग को भी सुनिश्चित करेगा.

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