बाढ़ के बाद धान के खेत में 250 लीटर पानी में 2 किलो NPK डालें, बंपर उपज होगी

बाढ़ के बाद धान की फसल कमजोर और मुरझा जाती है. 250 लीटर पानी में 2 किलो NPK 19:19:19 डालकर छिड़काव करें और फंगस से बचाने के लिए कार्बेंडाजिम व मैंकोजेब का स्प्रे करें, जिससे फसल फिर से हरी-भरी हो जाएगी.

Kisan India
नोएडा | Published: 22 Aug, 2025 | 01:38 PM

उत्तर प्रदेश में हाल ही में आई बाढ़ ने किसानों के चेहरे से मुस्कान छीन ली है. कई जिलों में लगातार भारी बारिश के चलते खेतों में पानी भर गया, जिससे धान की फसलें मुरझा गईं. खेतों में जमा पानी लंबे समय तक ठहरा रहा, जिससे न केवल फसलें पीली पड़ गईं, बल्कि जड़ों में सड़न और फंगस का खतरा भी बढ़ गया. हालांकि, कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसान समय रहते कुछ जरूरी कदम उठाएं, तो फसल को बचाया जा सकता है और नुकसान की भरपाई भी हो सकती है.

बाढ़ के बाद तुरंत करें ये पोषण उपाय

बाढ़ के पानी के साथ खेत की मिट्टी से कई पोषक तत्व बह जाते हैं, जिससे फसल कमजोर पड़ जाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कृषि विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि बचे हुए धान के पौधों को फिर से पोषण देने की जरूरत है. इसके लिए किसान 200 से 250 लीटर पानी में 2 किलो NPK 19:19:19 घोलकर फसल पर छिड़काव करें.
इससे दो फायदे होंगे-

  • पौधों पर जमी मिट्टी की परत हट जाएगी.
  • फसल को तुरंत जरूरी पोषण मिलेगा, जिससे पत्तियां दोबारा हरी होने लगेंगी.

फंगस से बचाने के लिए करें ये छिड़काव

बाढ़ के बाद खेत में नमी बनी रहने से फंगस का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो बची-खुची फसल भी नष्ट हो सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कृषि विशेषज्ञों का सुझाव है कि किसान कार्बेंडाजिम और मैंकोजेब डब्ल्यूपी (Carbendazim and Mancozeb WP) का उपयोग करें. प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम की मात्रा मिलाकर छिड़काव करें. इससे पौधों को फंगस से सुरक्षा मिलेगी और उनकी ग्रोथ में तेजी आएगी.

नाइट्रोजन से बढ़ेगी हरियाली

बाढ़ के बाद अक्सर धान की फसल पीली पड़ जाती है, जो इस बात का संकेत है कि पौधे में नाइट्रोजन की कमी हो गई है. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन देने से फसल फिर से हरी-भरी हो सकती है. एनपीके 19:19:19 में मौजूद नाइट्रोजन फसल की हरियाली को वापस लाने में मदद करता है. यह पौधों की जड़ों को मजबूत करता है और नई कोंपलों के विकास में भी सहायक होता है.

नुकसान की भरपाई का मौका

हालांकि कुछ खेतों में 100 फीसदी फसल नष्ट हो चुकी है, लेकिन जहां धान की फसल 40-50 प्रतिशत तक बची है, वहां किसान सही देखभाल से अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह समय निराश होने का नहीं, बल्कि समझदारी से कदम उठाने का है. फसल को फिर से हरा-भरा बनाकर किसान नुकसान की भरपाई कर सकते हैं.

प्राकृतिक आपदाएं किसानों की मेहनत पर पानी फेर देती हैं, लेकिन सही तकनीक और उपायों से नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है. अगर आप भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से हैं और आपकी फसल मुरझा गई है, तो ऊपर बताए गए आसान और वैज्ञानिक उपाय अपनाएं. थोड़ा प्रयास और सही समय पर किया गया काम आपकी फसल को फिर से जीवन दे सकता है.

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