अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ भी नहीं रोक पाए भारत का निर्यात, आंकड़ों में दिखी मजबूत बढ़त

कोविड-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-हमास संघर्ष, लाल सागर में शिपिंग संकट और सेमीकंडक्टर सप्लाई की कमी जैसी चुनौतियों ने दुनिया के व्यापार को बुरी तरह प्रभावित किया. इसके बावजूद भारत का निर्यात लगातार खुद को ढालता रहा और यही वजह है कि अमेरिकी टैरिफ जैसे बड़े झटके का असर भारत पर सीमित रहा.

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नई दिल्ली | Published: 29 Dec, 2025 | 07:58 AM
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अमेरिका जैसे बड़े बाजार की ओर से 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाए जाने की खबर किसी भी देश के निर्यातकों के लिए चिंता की बात हो सकती है, लेकिन भारत के मामले में कहानी बिल्कुल अलग दिखती है. तमाम वैश्विक झटकों और व्यापारिक चुनौतियों के बावजूद भारतीय निर्यात न सिर्फ टिका रहा, बल्कि लगातार आगे भी बढ़ता गया. यह भारत की उस क्षमता को दिखाता है, जहां मुश्किल हालात में भी रास्ता खोज लिया जाता है और अवसर बनाए जाते हैं.

संकट आए, लेकिन भारत का निर्यात नहीं रुका

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों पर नजर डालें तो वैश्विक स्तर पर एक के बाद एक संकट सामने आए. कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की सप्लाई चेन को तोड़ दिया. इसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-हमास संघर्ष, लाल सागर में शिपिंग संकट और सेमीकंडक्टर की कमी जैसी समस्याओं ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को झकझोर दिया. इन सबके बीच 2025 में अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर ऊंचा टैरिफ लगाया जाना एक और बड़ी चुनौती थी.

इसके बावजूद भारतीय निर्यातकों ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपने उत्पादों और बाजारों में बदलाव किए, नए देशों की ओर रुख किया और यही वजह रही कि निर्यात की रफ्तार बनी रही. वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के शब्दों में कहें तो “व्यापार पानी की तरह होता है, वह अपना रास्ता खुद बना लेता है.”

आंकड़े खुद बयां कर रहे हैं कहानी

अगर निर्यात के आंकड़ों पर नजर डालें तो तस्वीर और साफ हो जाती है. साल 2020 में भारत का निर्यात करीब 276.5 अरब डॉलर था. इसके बाद 2021 में इसमें जबरदस्त उछाल आया और यह 395.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया. 2022 में निर्यात 453.3 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया.

हालांकि 2023 में वैश्विक मंदी का असर दिखा और निर्यात घटकर 389.5 अरब डॉलर रह गया, लेकिन भारत ने जल्दी ही वापसी की. 2024 में निर्यात फिर बढ़कर 443 अरब डॉलर तक पहुंच गया. वहीं 2025 में जनवरी से नवंबर के बीच ही भारत लगभग 407 अरब डॉलर का निर्यात कर चुका है, जो बताता है कि साल के अंत तक आंकड़े और मजबूत हो सकते हैं.

रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा कुल निर्यात

इंडिया टीवी की खबर के अनुसार, वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 भारत के लिए ऐतिहासिक रहा है. इस दौरान भारत का गुड्स और सर्विसेज एक्सपोर्ट मिलाकर 825.25 अरब डॉलर तक पहुंच गया. यह अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. खास बात यह है कि यह बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है, जब दुनिया के कई बड़े देशों में व्यापार की रफ्तार धीमी पड़ रही है. चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों यानी अप्रैल से नवंबर 2025 के बीच ही भारत 562 अरब डॉलर का निर्यात कर चुका है. यह भारत की मजबूत आर्थिक नींव और निर्यातकों की मेहनत को दर्शाता है.

अमेरिका के साथ व्यापार में फिर लौटी रफ्तार

अमेरिका द्वारा लगाए गए ऊंचे टैरिफ का असर शुरुआत में जरूर दिखा. सितंबर और अक्टूबर 2025 में अमेरिका को होने वाला निर्यात कुछ कमजोर पड़ा, लेकिन भारतीय निर्यातकों ने जल्द ही हालात संभाल लिए. नवंबर 2025 में अमेरिका के लिए भारत का निर्यात 22.61 प्रतिशत बढ़कर 6.98 अरब डॉलर तक पहुंच गया. यह बताता है कि भारतीय कंपनियां नई रणनीतियों और लागत प्रबंधन के जरिए टैरिफ के असर को काफी हद तक संतुलित करने में सफल रहीं.

जब दुनिया सुस्त है, तब भी भारत आगे

जहां एक ओर World Trade Organization का अनुमान है कि 2025 में वैश्विक व्यापार की वृद्धि सिर्फ 2.4 प्रतिशत रह सकती है और 2026 में यह और घटकर 0.5 प्रतिशत तक आ सकती है, वहीं भारत का प्रदर्शन इससे कहीं बेहतर नजर आ रहा है. विशेषज्ञ मानते हैं कि विकसित देशों में मांग घटने और उद्योगों की रफ्तार धीमी होने का असर जरूर पड़ेगा, लेकिन भारत अपने मजबूत घरेलू आधार और विविध बाजारों के कारण आगे बना रहेगा.

2026 के लिए भी उम्मीदें मजबूत

निर्यात से जुड़े जानकारों का कहना है कि आने वाला साल भी भारत के लिए उम्मीदों से भरा रहेगा. इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में करीब 39 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो विदेशी निवेश और वैश्विक सप्लाई चेन में भारत की बढ़ती भूमिका को दिखाता है. इसके अलावा कृषि उत्पादों, इंजीनियरिंग उत्पाद, दवाइयां और ऑटोमोबाइल निर्यात भी लगातार मजबूत बने हुए हैं. ब्रिटेन, ओमान और न्यूजीलैंड के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते भी जल्द लागू होने वाले हैं, जिससे भारतीय उत्पादों को नए बाजार मिलेंगे. कुल मिलाकर, अमेरिका के ऊंचे टैरिफ और वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत का निर्यात यह भरोसा दिलाता है कि देश की अर्थव्यवस्था मुश्किल हालात में भी आगे बढ़ने का रास्ता खोज लेती है.

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