GST 2.0: क्या सच में सस्ता होगा रोजमर्रा का सामान, आम जनता-कारोबारियों को मिलेगा फायदा?

यह बदलाव सिर्फ टैक्स दर कम करने तक सीमित नहीं है. इसका मकसद GST को आसान बनाना, आम आदमी की जेब पर असर कम करना और छोटे-छोटे कारोबारियों के लिए टैक्स सिस्टम को सरल बनाना भी है.

नई दिल्ली | Updated On: 24 Aug, 2025 | 05:42 PM

भारत में कर प्रणाली में बड़े बदलाव का दौर शुरू होने वाला है. लंबे समय से चर्चा में रहे GST सुधार अब साकार होने की कगार पर हैं. हाल ही में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिसमें 12 फीसदी और 28 फीसदी टैक्स स्लैब को खत्म करने की सिफारिश की गई है. इसका मतलब है कि अब अधिकांश सामान और सेवाओं पर सिर्फ 5 फीसदी और 18 फीसदी की दरें लागू होंगी. इसे मीडिया और विशेषज्ञ “GST 2.0” कह रहे हैं.

यह बदलाव सिर्फ टैक्स दर कम करने तक सीमित नहीं है. इसका मकसद GST को आसान बनाना, आम आदमी की जेब पर असर कम करना और छोटे-छोटे कारोबारियों के लिए टैक्स सिस्टम को सरल बनाना भी है. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह बदलाव सच में रोजमर्रा की जिंदगी में महसूस होगा? क्या आपके लिए सच में सस्ता सामान मिलेगा?

GST का असर आम आदमी पर

GST 2.0 लागू होने के बाद रोजमर्रा के सामान की कीमतों में धीरे-धीरे कमी आने की उम्मीद है. आटा, दाल, चाय-पाउडर, मसाले और पैक्ड फूड जैसी खाने-पीने की चीजें अब कम टैक्स के दायरे में आएंगी. रोजमर्रा के कपड़े, जूते और छोटे फैशन आइटम भी पहले से सस्ते मिल सकते हैं, वहीं रोजमर्रा की दवाइयों की कीमत में भी कमी देखने को मिलेगी.

विशेषज्ञों का अनुमान है कि जो सामान पहले 12 फीसदी टैक्स में आता था, उसका लगभग 99 फीसदी अब 5 फीसदी स्लैब में आ जाएगा. वहीं, 28 फीसदी वाले उत्पादों का लगभग 90 फीसदी 18 फीसदी स्लैब में शामिल होगा. इसका मतलब है कि बाजार में अधिकांश सामान पहले से सस्ता हो जाएगा और आम लोगों की जेब पर राहत महसूस होगी.

बड़े घरेलू उपकरण और बीमा पर राहत

टीवी, रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन जैसी बड़ी चीजें, जिन पर पहले 28 फीसदी टैक्स लगता था, अब 18 फीसदी स्लैब में आ जाएंगी. इसका सीधा फायदा मिडल क्लास परिवारों को होगा.

वहीं सरकार हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर GST छूट देने पर भी विचार कर रही है. अगर यह लागू हुआ, तो करोड़ों पॉलिसी होल्डर्स सालाना हजारों रुपये बचा सकेंगे.

क्या GST कम होने से कीमतें सच में घटती हैं?

सबसे जरूरी बात ये है कि टैक्स कम होने से हर बार कीमतें अपने आप कम नहीं होती हैं. दुकानदारों और बाजार की मांग-सप्लाई पर भी कीमतें निर्भर करती है. विशेषज्ञ निर्मल यादव बताते हैं कि सामान्य रुप ये टैक्स कम होने से उत्पादन लागत और व्यापारिक लागत कम होती है, जिससे समय के साथ कीमतों में गिरावट आती है.

दिल्ली के एक छोटे व्यवसायी मनीष अग्रवाल ने कहा, “हमारे लिए टैक्स कम होना फायदे का सौदा है, लेकिन सस्ते होने में थोड़ा समय लगता है. कुछ उत्पाद तुरंत सस्ते हो जाते हैं, लेकिन रोजमर्रा के सामान में कीमतें धीरे-धीरे घटती हैं.” इसलिए आम जनता को जमीनी तौर पर लाभ देखने में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन लंबी अवधि में फायदा निश्चित है.

दिल्ली के एक फूड स्टोर के मालिक का कहना है, “टैक्स कम होना फायदे का सौदा है, लेकिन सस्ते होने में थोड़ा समय लगता है. कुछ चीजें तुरंत सस्ती हो जाती हैं, कुछ में समय लगता है.”इसलिए GST दर कम होने के बाद भी बाजार में बदलाव धीरे-धीरे दिखेगा.

पहले GST में क्या बदलाव हुए

2017 में GST लागू हुआ था और इसके बाद कई सुधार किए गए हैं.

  • शुरुआत में चार स्लैब: 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी.
  • जरूरी चीजें कम टैक्स में: रोजमर्रा की जरूरत की चीजों को कम टैक्स स्लैब में लाया गया.
  • डिजिटल रिटर्न और आसान प्रक्रिया: टैक्स फाइलिंग और अनुपालन आसान बनाने के लिए ऑनलाइन सिस्टम शुरू किया गया.
  • जीरो रेटेड और टैक्स मुक्त सामान: कुछ चीजें और सेवाएं पूरी तरह GST से मुक्त कर दी गईं.

GST 2.0 इन सुधारों का अगला चरण है, जिसका मकसद टैक्स दरों को कम करके आम आदमी और कारोबारियों को फायदा पहुंचाना है.

लोगों की राय

सामान्य लोग और व्यापारी इस बदलाव को लेकर उत्साहित हैं. नोएडा में रहने वाली गृहिणी संजना सिंह का कहना है कि “छोटी-छोटी चीजों पर टैक्स ज्यादा लगता है. अगर 12 फीसदी और 28 फीसदी स्लैब खत्म हो गए, तो रोजमर्रा की चीजें सच में सस्ती होंगी.” वहीं नोएडा में रहने वाले विकाश शर्मा का कहना है कि बीमा और बड़े घरेलू सामान पर टैक्स कटौती से हमारी सालाना खर्च में राहत मिलेगी.”

वहीं छोटे दुकानदारों का मानना है कि “छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए GST का जटिल ढांचा परेशानी का कारण था. टैक्स कम होने से हमारी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और ग्राहकों को फायदा मिलेगा.”

सरकार के लिए चुनौतियां

GST 2.0 लागू होने से आम जनता और उद्योगों को तो फायदा होगा, लेकिन सरकार के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं. सबसे बड़ी चुनौती राजस्व में कमी की है. उदाहरण के लिए, अगर हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर GST छूट दी जाती है, तो सालाना लगभग 9,700 करोड़ रुपये का राजस्व सरकार को कम मिल सकता है. इसके अलावा, टैक्स दरों में कटौती के शुरुआती समय में सरकार की आमदनी पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि कई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बदलाव तुरंत नहीं होता.

दूसरी चुनौती है मूल्य नियंत्रण. दुकानदार और थोक विक्रेता अपने लाभ और लागत के हिसाब से कीमत तय करते हैं, इसलिए टैक्स कम होने के बाद भी सभी वस्तुएं तुरंत सस्ती नहीं हो सकतीं. इस वजह से सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि टैक्स कटौती का लाभ सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचे.

पेश से सी.ए मोहित शर्मा का मानना है कि हालांकि शुरुआत में राजस्व में थोड़ी कमी हो सकती है, लेकिन लंबी अवधि में खपत बढ़ने से टैक्स संग्रह में सुधार होगा. जब सामान सस्ते होंगे, तो लोग ज्यादा खरीदारी करेंगे, जिससे बाजार में बिक्री बढ़ेगी और परिणामस्वरूप सरकार की कुल टैक्स आमदनी में वृद्धि होने की संभावना है.

इस तरह, GST 2.0 सरकार के लिए संतुलन बनाने की चुनौती लेकर आता है, एक तरफ उपभोक्ताओं और उद्योगों को राहत देना, तो दूसरी तरफ राजस्व नुकसान और बाजार नियंत्रण को संभालना.

GST काउंसिल की मंजूरी

GoM की सिफारिशों को अब GST काउंसिल के पास भेजा जाएगा. परिषद की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करती हैं. अगली बैठक में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ इस प्रस्ताव पर अंतिम फैसला लिया जाएगा. अगर मंजूरी मिल गई, तो यह 2017 के बाद GST में सबसे बड़ा सुधार होगा.

Published: 24 Aug, 2025 | 05:41 PM