महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर जिले में एक ज्येष्ठ पशुवैद्य प्रतिष्ठान के 28वें स्थापना दिवस के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आज दुनिया में जो अस्थिरता का मोहौल है उसे स्थिर करने के लिए जरूरी है कि भारत के कृषि क्षेत्र को मजबूत किया जाए. उन्होंने कहा कि पारंपरिक खेती और पशुपालन को आधुनिक तकनीक से जोड़ने पर भारत कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है. इस तरह देश के किसान भी आगे बढकर आर्थिक तौर पर मजबूत बन सकेंगे. बता दें कि, स्थापना दिवस समारोह में प्रगतिशील किसानों और पशु चिकित्सकों को सम्मानित भी किया गया.
कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना क्यों है जरूरी
आज के समय में जब हमारे आसपास सबकुछ आधुनिक है, तब बेहद जरूरी है कि किसानों के विकास के लिए भी आधुनिकता का इस्तेमाल किया जाए. पारंपरिक खेती करने वाले किसानों को अगर तकनीकी मदद दी जाए और उन्हें ट्रेनिंग दी जाए, तो वे कृषि क्षेत्र में और बेहतर तरीके से योगदान दे सकेंगे. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पारंपरिक खेती को तकनीक से जोड़ने पर न केवल कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकते हैं, बल्कि किसानों को भी बहुत फायदा मिलेगा. उन्होंने कहा कि आज दुनिया में जो भी अस्थिरता है वह इस बात की ओर संकेत करते हैं कि भारत का अपने कृषि क्षेत्र में मजबूत होना बहुत जरूरी है.
प्राचीन परंपरा हमारे लिए गर्व की बात
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मोहन भागवत ने पशु चिकित्सकों की तारीफ करते हुए कहा कि पशु चिकित्सक जीवों के दर्द को समझने की कला को जानते हैं, जो न बोल सकते हैं, न सुन सकते हैं और इलाज के दौरान प्रतिरोध नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि प्राचीन पशु चिकित्सा विशेषज्ञ शालिहोत्र ने घोड़े की आयु और गुण निर्धारित करने के विज्ञान का वर्णन किया था और यह प्राचीन परंपरा हमारे लिए गर्व की बात है.
विदेशी तकनीक में बढ़ रहा भरोसा
प्रमुख संघ ने कहा कि आज के समय में पारंपरकि खेती को जिस तरह पश्चिमी तकनीक से जोड़कर लाभकारी बनाया जा रहा है, उसपर किसानों और देशी मवेशियों का भरोसा बढ़ रहा है. आगे उन्होंने कहा कि खेती के साथ-साथ पशुपालन में भी इन तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए तो किसानों को सीधा फायदा मिलेगा, जोकि देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता हैं. बता दें कि तकनीक के इस्तेमाल से कृषि क्षेत्र का विकास बेहतर तरीके से हो सकेगा और किसान भी मजबूत बम सकेंगे.