भारत में 3 मिलियन टन ज्यादा होगा चावल का उत्पादन, दुनिया के व्यापार में बढ़ेगी हिस्सेदारी: अमेरिकी रिपोर्ट

भारत में जल्दी आई मानसून बारिश और बढ़ी हुई न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के कारण चावल का उत्पादन 3 मिलियन टन बढ़कर 151 मिलियन टन होने का अनुमान है. इसके चलते विश्व में चावल की आपूर्ति और खपत दोनों रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 14 Jun, 2025 | 08:25 AM

अमेरिकी कृषि विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2025-26 के लिए अमेरिका के चावल उत्पादन की स्थिति कमजोर रहने का अनुमान है. अमेरिका में चावल की आपूर्ति कम होगी, घरेलू खपत घटेगी, जबकि निर्यात में इजाफा होगा. इसके चलते भंडार में थोड़ी गिरावट देखने को मिलेगी.

अमेरिका के डेल्टा क्षेत्र में अत्यधिक बारिश के कारण लंबे दाने वाले चावल (लॉन्ग-ग्रेन) का उत्पादन घटेगा, जबकि कैलिफोर्निया में मध्यम और छोटे दाने वाले चावल की पैदावार बढ़ेगी. इस वर्ष अमेरिका में चावल के आयात भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचकर 50.7 मिलियन सेंटवेल्ट (cwt) हो गए हैं. अमेरिकी किसानों को मिलने वाली कीमतें बढ़कर प्रति cwt $13.50 तक पहुंचने की संभावना है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

अमेरिका में चावल का उत्पादन घटकर 214.4 मिलियन cwt रह सकता है. लॉन्ग-ग्रेन क्षेत्र में कमी, कैलिफोर्निया में क्षेत्रफल में वृद्धि हुआ है. चावल के आयात में रिकॉर्ड वृद्धि, 50.7 मिलियन cwt तक होगी. ग्लोबल उत्पादन में भारत के 3 मिलियन टन इजाफे के चलते मुख्य योगदान रहेगा. अमेरिकी किसानों को मिलने वाली कीमतें बढ़कर $13.50 प्रति cwt तक पहुंचेंगी.

अमेरिका की चावल के बाजार में मिलजुली स्थिति है. चावल उत्पादन में कमी और उसके भंडार में तंगी के बावजूद निर्यात में हल्की बढ़ोतरी होने की संभावना. कैलिफोर्निया में सिंचाई की सुविधा और कम विकल्पों के कारण मध्यम और छोटे दाने वाले चावल की खेती में सुधार हुआ है, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा.

ग्लोबल लेवल पर चावल की स्थिति अधिक सकारात्मक है. भारत में जल्दी आई मानसून बारिश और बढ़ी हुई न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के कारण चावल का उत्पादन 3 मिलियन टन बढ़कर 151 मिलियन टन होने का अनुमान है. इसके चलते विश्व में चावल की आपूर्ति और खपत दोनों रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है. ग्लोबल व्यापार भी बढ़कर 61.7 मिलियन टन तक पहुंच सकता है, जिसमें भारत का प्रमुख योगदान रहेगा.

जहां अमेरिका में चावल उत्पादन में कुछ चुनौतियां हैं, वहीं भारत के नेतृत्व में ग्लोबल सप्लाई में मजबूती बनी हुई है. इससे ग्लोबल बाजार में चावल की कीमतें स्थिर से मजबूत बनी रह सकती हैं, जबकि व्यापार और खपत में वृद्धि जारी रहेगी.

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