भारतीय चाय की खुशबू अब दुनिया के कई कोनों में महक रही है.इस साल के शुरुआती चार महीनों में भारत की चाय की कीमतों में करीब 18 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है, जो खासतौर पर रूस, ईरान, इराक और यूएई जैसे देशों से बढ़ती मांग के कारण है. देश की बड़ी कंपनियां भी निर्यात और घरेलू दोनों बाजारों के लिए चाय की खरीद में तेजी ला रही हैं. इस बढ़ती मांग ने न सिर्फ चाय के कारोबार को मजबूती दी है, बल्कि उत्पादन और निर्यात के नए रिकॉर्ड भी बनाए जा रहे हैं.
क्या है इस बढ़ोतरी के पीछे का कारण
भारत की चाय दुनियाभर में पसंद की जाती है, लेकिन मध्य-पूर्व और रूस जैसे देशों में इसकी डिमांड हाल के महीनों में तेजी से बढ़ी है. खासतौर पर प्रीमियम ऑर्थोडॉक्स चाय (जो हाथ से तैयार की जाती है) को इन देशों में खूब पसंद किया जा रहा है. वहीं द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार कोलकाता की एशियन टी कंपनी के निदेशक मोहित अग्रवाल के बताया कि “अगर यह मांग बनी रही, तो भारत इस साल अपने पिछले साल के चाय निर्यात आंकड़े को भी पार कर सकता है.”
आंकड़ों पर एक नजर
जनवरी से अप्रैल 2025 तक भारत में औसतन चाय की कीमत 160.49 रुपये प्रति किलो रही, जबकि पिछले साल इसी समय ये कीमत 136.41 रुपये प्रति किलो थी. वहीं असम की प्रीमियम चाय तो 314 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है, जो अब तक की सबसे ऊंची कीमत मानी जा रही है. जबकि 2024 में भारत ने लगभग 255 मिलियन किलो चाय का निर्यात किया था, जिसकी कुल वैल्यू 7,111 करोड़ रही.
कौन खरीद रहा है इतनी चाय?
देश की बड़ी कंपनियां जैसे हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स भी भारी मात्रा में चाय की खरीद कर रही हैं, ताकि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों मार्केट्स की मांग को पूरा किया जा सके. वहीं सरकार ने 100 फीसदी CTC डस्ट चाय की नीलामी अनिवार्य कर दी है, जिससे नीलामी केंद्रों में भीड़ और कीमतें दोनों बढ़ी हैं.
आम आदमी पर असर
फिलहाल पैकेट चाय कंपनियां कीमतें बढ़ाने के मूड में नहीं हैं, क्योंकि वे नहीं चाहतीं कि उनके ग्राहक दूसरी ब्रांड्स की तरफ चले जाएं. गुजरात की जिवराज टी कंपनी के चेयरमैन वीरन शाह कहते हैं, “अगर कीमतें और बढ़ीं, तो हो सकता है ग्राहकों के लिए थोड़ा असर पड़े, लेकिन अभी तो सब संभालने की कोशिश में हैं.”
चाय उत्पादन में भी बढ़ोतरी
2025 के पहले चार महीनों में देश का चाय उत्पादन भी 203.14 मिलियन किलो रहा, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 29 मिलियन किलो ज्यादा है. इससे सप्लाई बनी हुई है, जिससे कीमतों में और उछाल फिलहाल सीमित रह सकता है.