सर्दियों में स्ट्रॉबेरी की फसल में लापरवाही न करें, छोटी चूक से खराब हो सकती है पूरी फसल

Winter Crop Care: सर्दियों में स्ट्रॉबेरी की खेती फायदे का सौदा हो सकती है, लेकिन इस मौसम में सही देखभाल बेहद जरूरी है. तापमान, मिट्टी और नमी में जरा सी लापरवाही फसल को नुकसान पहुंचा सकती है. सही तरीके अपनाकर पौधों को ठंड से बचाया जा सकता है और बेहतर फलन के साथ अच्छी कमाई हासिल की जा सकती है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 22 Dec, 2025 | 10:22 PM
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Strawberry Farming : स्ट्रॉबेरी को मुनाफे वाली फसल माना जाता है, लेकिन सर्दियों में इसकी खेती जितनी फायदेमंद होती है, उतनी ही संवेदनशील भी होती है. इस मौसम में जरा सी लापरवाही पौधों की बढ़वार रोक सकती है और फलन पर सीधा असर डाल सकती है. ठंड के दिनों में अगर तापमान, मिट्टी और देखभाल का संतुलन बिगड़ गया, तो पूरी फसल को नुकसान झेलना पड़ सकता है. यही वजह है कि जिन किसानों ने खेत में स्ट्रॉबेरी लगा ली है, उनके लिए यह समय सबसे ज्यादा सतर्क रहने का होता है.

सर्दियों की फसल है स्ट्रॉबेरी, लेकिन देखभाल बेहद जरूरी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्ट्रॉबेरी की बुवाई आमतौर पर अक्टूबर से दिसंबर के बीच की जाती है. पौधे लगने के बाद अब देखरेख का दौर शुरू हो जाता है. यह फसल सर्द मौसम में बेहतर फल देती है, लेकिन अधिक ठंड या गलत देखभाल से पौधे कमजोर पड़ सकते हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि इस समय पौधों की नियमित निगरानी जरूरी होती है, ताकि किसी भी समस्या को समय रहते रोका जा सके.

तापमान और मल्चिंग से तय होता है अच्छा फलन

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्ट्रॉबेरी के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे उपयुक्त माना जाता है. अगर तापमान इससे नीचे चला जाए, तो मल्चिंग का सहारा लेकर पौधों को ठंड  से बचाया जा सकता है. पॉलीहाउस या प्लास्टिक शीट का इस्तेमाल कर भी तापमान संतुलित रखा जा सकता है. सही तापमान मिलने पर पौधों में फूल और फल अच्छी संख्या में आते हैं, जिससे पैदावार बढ़ती है.

मिट्टी और खाद का सही चुनाव बढ़ाएगा मुनाफा

स्ट्रॉबेरी की खेती  के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सबसे बेहतर माना जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खेत की मिट्टी में पानी निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए. रासायनिक खादों  के ज्यादा इस्तेमाल से बचना चाहिए और वर्मी कंपोस्ट जैसे जैविक खाद का उपयोग करना फायदेमंद रहता है. इससे पौधे मजबूत बनते हैं और फलों की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है.

समय पर कटाई-छंटाई और सही किस्म का चयन जरूरी

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि स्ट्रॉबेरी का फसल चक्र छोटा होता है. रोपाई के करीब दो महीने बाद फल आना शुरू हो जाता है और फिर दो से तीन महीने तक तुड़ाई चलती रहती है. इस दौरान रोगग्रस्त पत्तियों और कमजोर शाखाओं  को हटाते रहना जरूरी होता है. बिहार जैसे राज्यों में कुछ खास किस्में बेहतर प्रदर्शन करती हैं और बाजार में इनके अच्छे दाम मिलते हैं. सही देखभाल के साथ स्ट्रॉबेरी किसानों  के लिए सर्दियों में शानदार कमाई का जरिया बन सकती है.

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Published: 22 Dec, 2025 | 10:22 PM

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