ईरान-इस्राइल युद्ध से व्यापार में भारी संकट, माल ढुलाई हो सकती है 50 फीसदी तक महंगी

भारत हर साल ईरान और इस्राइल को अरबों डॉलर का सामान भेजता है, 2024-25 में इस्राइल को 2.1 अरब डॉलर और ईरान को करीब 1.4 अरब डॉलर का निर्यात हुआ. अगर ईरान-इस्राइल युद्ध लंबा खिंचा, तो इन देशों के साथ व्यापार लगभग ठप हो सकता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 16 Jun, 2025 | 09:50 AM

पश्चिम एशिया में ईरान और इस्राइल के बीच बढ़ते युद्ध ने दुनिया भर में चिंता की लहर फैला दी है. इसका असर सिर्फ युद्धग्रस्त इलाकों तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत जैसे देशों के व्यापार पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है. बंदरगाहों से लेकर जहाजों तक, सबकुछ प्रभावित हो सकता है. अब व्यापारी और निर्यातक सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं कि ये संकट जल्द सुलझे.

क्या है असली खतरा?

ईरान और इस्राइल के बीच चल रही जंग के चलते व्यापारिक जहाजों के लिए जरूरी समुद्री रास्तों खासतौर पर लाल सागर और होर्मुज जलडमरूमध्य पर संकट के बादल छा गए हैं. अगर युद्ध और लंबा खिंचता है, तो भारत का यूरोप और अमेरिका के साथ 34 फीसदी निर्यात प्रभावित हो सकता है.

क्या बोले जानकार?

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के अध्यक्ष का कहना है कि अगर हालात जल्द नहीं सुधरे, तो माल ढुलाई की लागत 50 फीसदी तक बढ़ सकती है. वहीं, बीमा कंपनियां भी ज्यादा प्रीमियम मांग सकती हैं. ऐसे में कारोबारी वर्ग की चिंता बढ़ना लाज़मी है.

कच्चे तेल की कीमतों का भी संकट

इस संघर्ष का एक और बड़ा असर कच्चे तेल पर पड़ सकता है. जानकारों का मानना है कि अगर तनाव और बढ़ा, तो ब्रेंट क्रूड की कीमतें 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं, जो फिलहाल की कीमत से दोगुनी है. इससे भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें और महंगाई दोनों बढ़ सकती हैं.

भारत के लिए क्यों है ये गंभीर?

भारत हर साल ईरान और इस्राइल को अरबों डॉलर का सामान भेजता है, 2024-25 में इस्राइल को 2.1 अरब डॉलर और ईरान को करीब 1.4 अरब डॉलर का निर्यात हुआ. अगर ईरान-इस्राइल युद्ध लंबा खिंचा, तो इन देशों के साथ व्यापार लगभग ठप हो सकता है, जिससे भारतीय निर्यातकों पर भारी असर पड़ेगा. इसके साथ ही, ओमान से आने वाली तैलीय गैस की सप्लाई भी प्रभावित होने की आशंका है, जिससे ऊर्जा सुरक्षा और घरेलू उद्योगों को भी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.

निर्यातकों की सरकार से अपील

निर्यातक अब सरकार से उम्मीद कर रहे हैं कि इस चुनौती से निपटने के लिए राहत योजनाएं लाई जाएं और जल्द से जल्द व्यापारिक मार्गों को सुरक्षित किया जाए. सरकार जल्द ही निर्यातकों के साथ इस विषय पर बैठक कर सकती है.

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