Mandi Bhav: लहसुन की कीमत में भारी गिरावट, 50 रुपये किलो हुआ रेट.. किसानों को नुकसान

केरल के इडुक्की जिले में कंथल्लूर-वट्टावाडा लहसुन की कीमत ओणम के दौरान 400-600 रुपये से गिरकर 50-80 रुपये प्रति किलो रह गई, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 9 Sep, 2025 | 06:38 PM

Mandi Rate: केरल में ओणम त्योहार पर हरी सब्जियों की साथ लहसुन की मांग बहुत बढ़ जाती है. ऐसे में में लहसुन किसान के साथ-साथ व्यापारियों की भी इस त्योहार के दौरान अच्छी कमाई होती है. लेकिन इस साल कीमत में गिरावट के कारण लहसुन उत्पादकों को ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ. खास कर इडुक्की जिले के कंथल्लूर और वट्टावाडा गांवों के किसानों के लिए इस बार का ओणम त्योहार फीका रहा. यहां की पारंपरिक लहसुन किस्म कंथल्लूर-वट्टावाडा लहसुन की कीमत बाजार में काफी गिर गई. जहां पिछले साल इसका रेट 400 से 600 रुपये प्रति किलो था, वहीं इस बार दाम गिरकर 50 से 80 रुपये प्रति किलो रह गए.

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक,  वट्टावाडा के लहसुन किसान के. जयप्रकाश ने कहा कि किसानों को उम्मीद थी कि ओणम के समय अच्छी कीमत मिलेगी, लेकिन इस बार भाव गिरने से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया. किसानों के मुताबिक, वे अपने उत्पाद को तमिलनाडु के वाडुकप्पेट्टी स्पेशल लहसुन मार्केट में बेचते हैं. जयप्रकाश ने कहा कि जब लहसुन के दाम बढ़े, तो कोडैकनाल और ऊटी जैसे इलाकों के तमिलनाडु के किसान भी लहसुन की खेती में उतर आए. इससे बाजार में लहसुन की अतिरिक्त आपूर्ति हो गई और कीमतें गिर गईं.

किसान पूरी तरह बाहरी व्यापारियों पर हैं निर्भर

कंथल्लूर विंटर वेजिटेबल फार्मर्स सोसाइटी के सचिव सोजन पीजी ने कहा कि पहले सोसाइटी हर साल किसानों से सीधे सर्दियों की सब्जियां और लहसुन खरीदती थी. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार समय पर किसानों को पैसा नहीं देती, इसलिए अब कोई भी सरकारी एजेंसी कंथल्लूर से न तो सब्जियां खरीद रही है और न ही लहसुन. किसान पूरी तरह बाहरी व्यापारियों पर निर्भर हो गए हैं.

इस वजह से कीमत में गिरावट

किसानों के अनुसार, वट्टावाडा और कंथल्लूर में ‘हिल गार्लिक’ (मला पूंदु) और ‘सिगप्पू पूंदु’ नाम की दो पारंपरिक लहसुन किस्मों की खेती होती है. अनुमान है कि इस क्षेत्र में लगभग 75 फीसदी खेतों में लहसुन की खेती की जाती है. सोजन ने कहा कि पक्की मार्केट और अच्छा दाम मिलने की उम्मीद में यहां लहसुन की खेती बढ़ी थी, लेकिन इस बार बाजार ने किसानों की उम्मीदें तोड़ दी हैं. गौरतलब है कि दिसंबर 2022 में कंथल्लूर-वट्टावाडा की पारंपरिक लहसुन किस्म ‘वेलुथुल्ली’ को GI टैग भी मिल चुका है.

मध्य प्रदेश में लहसुन का रेट

बता दें कि लहसुन का रेट देश के सबसे बड़ा उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में भी कम हो गया है. कल ही खबर सामने आई थी कि दलौदा मंडी में 1 सितंबर को लहसुन का मिनिमम रेट 500 रुपये क्विंटल दर्ज किया गया, जबकि मैक्सिमम रेट 11301 रुपये क्विंटल रहा है. हालांकि, 7 सितंबर को मंदसौर मंडी में लहसुन का मिनिमम रेट बढ़कर 3200 रुपये क्विंटल हो गया. खास बात यह है कि इस दिन लहसुन का मैक्सिमम और मॉडल रेट भी 3200 रुपये क्विंटल ही दर्ज किया गया.

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Published: 9 Sep, 2025 | 06:33 PM

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