Mandi Rate: आलू की कीमत में 50 फीसदी गिरावट, एक रुपये किलो हुआ रेट.. किसानों को नुकसान

पश्चिम बंगाल में आलू की थोक कीमतें करीब 50 फीसदी गिर गई हैं, जिससे किसान और व्यापारी भारी नुकसान में हैं. कोल्ड स्टोरेज में ज्यादा स्टॉक और अंतर-राज्यीय मांग घटने से ‘डिस्ट्रेस सेल’ बढ़ गई है. उत्तर प्रदेश ने प्रमुख बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है.

नोएडा | Updated On: 30 Dec, 2025 | 12:05 PM

Potato Price Fall: पश्चिम बंगाल में आलू की थोक कीमतें तेजी से गिर गई हैं. इसकी वजह से किसानों को मजबूरी में बड़ी मात्रा में आलू बहुत कम दाम पर बेचना पड़ रहा है, जिसे ‘डिस्ट्रेस सेल’ कहा जा रहा है. अभी भी बड़ी मात्रा में आलू कोल्ड स्टोरेज में जमा है. अंतर-राज्यीय बिक्री में भारी गिरावट आने से पश्चिम बंगाल ओडिशा, झारखंड और बिहार जैसे अपने बड़े बाजारों में उत्तर प्रदेश से पीछे होता जा रहा है. कहा जा रहा है कि कोल्ड स्टोरेज में एक महीने से ज्यादा का स्टॉक होने के कारण थोक कीमतें लगभग 50 फीसदी गिर गई हैं, जिससे किसानों और व्यापारियों को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है. पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य पतीत पवन डे के अनुसार, ज्यादा स्टॉक होने के कारण कीमतें गिर रही हैं. किसान मजबूरी में आलू को लगभग 100 से 200 रुपये क्विंटल में बेचने पर मजबूर हैं. यानी किसान एक से दो रुपये किलो आलू बेच रहे हैं.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के कोल्ड स्टोरेज में इस साल सीजन की शुरुआत में कुल 72 लाख टन आलू भरा गया, जो पिछले साल से लगभग 10 लाख टन ज्यादा है. पतीत पवन डे के अनुसार, ज्यादा स्टॉक इस साल उत्पादन बढ़ने के कारण हुआ. बंगाल में करीब 500 कोल्ड स्टोरेज  हैं, जहां आलू का भंडारण फरवरी-मार्च में शुरू होता है और आमतौर पर 30 नवंबर तक स्टॉक खाली कर दिया जाता है. इस बार अधिक स्टॉक को देखते हुए राज्य सरकार ने आलू का स्टोरेज 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया.

आलू जनवरी तक स्टोरेज में रह सकता है

कोल्ड स्टोरेज अध्यक्ष सुनील कुमार राणा के अनुसार, आलू कम से कम जनवरी तक स्टोरेज में रह सकता है. स्टोरेज पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहे, लेकिन हमें किसानों और व्यापारियों का समर्थन करना है, जो कीमत गिरने से नुकसान में हैं. यह पूरे उद्योग के लिए नुकसान है. राणा ने कहा कि बंगाल के व्यापारी अब ओडिशा, झारखंड और बिहार जैसे राज्यों में आलू पहुंचाने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं, क्योंकि ये राज्य पहले बंगाल के आलू  पर निर्भर थे. पिछले दो साल में बंगाल का अंतर-राज्यीय व्यापार काफी घट गया है, क्योंकि उत्तर प्रदेश ने अपने आलू के मार्केटिंग प्रयास तेज कर इन बाजारों पर पकड़ बना ली है.

कम कीमत पर आलू सप्लाई हो रही है

वहीं, जानकारों का कहना है कि जब पिछले साल पश्चिम बंगाल ने राज्य में आलू की कीमतों बढ़ने पर अंतर-राज्यीय व्यापार पर प्रतिबंध लगाया था, तब उत्तर प्रदेश ने ओडिशा, झारखंड और बिहार जैसे बाजारों पर कब्जा कर लिया. बाद में आलू उत्पादक  और व्यापारी भारी नुकसान की वजह से विरोध करने लगे और राज्य सरकार को यह प्रतिबंध हटाना पड़ा. अब बंगाल के व्यापारी देख रहे हैं कि ओडिशा और अन्य राज्यों से मांग काफी कम हो गई है, क्योंकि ये राज्य अब उत्तर प्रदेश से सस्ता आलू खरीद रहे हैं. उत्तर प्रदेश के पास ज्यादा उत्पादन और बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर है, जिससे वे कम कीमत पर आलू सप्लाई कर पा रहे हैं.

25 लाख टन अतिरिक्त आलू की सेलिंग

कोल्ड स्टोरेज मालिक अनुप प्रतिहार के अनुसार, पिछले साल प्रतिबंध के कारण हमारे व्यापारी ओडिशा, झारखंड और बिहार में आलू नहीं भेज पाए थे. इस साल बंगाल के आलू इन राज्यों में जा रहे हैं, लेकिन मात्रा कम है. 2024 से पहले बंगाल हर साल लगभग 20 से 25 लाख टन अतिरिक्त आलू अन्य राज्यों को बेचता था.

Published: 30 Dec, 2025 | 11:47 AM

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