किसानों को MSP के रूप में 3.47 लाख करोड़ रुपये का भुगतान, 10 साल में फसलों का दाम दोगुना बढ़ा
कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने कहा कि किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना को लागू किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार प्रत्येक वर्ष राज्य सरकारों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों से पर विचार करने के बाद कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर 22 कृषि फसलों के लिए MSP तय करती है.
केंद्र सरकार ने किसानों को फसलों के सही दाम देने के इरादे से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी तय कर रखा है. लेकिन, अगर खुले बाजार में उपज का भाव गिर जाता है तो सरकार पीएम आशा योजना के तहत एमएसपी पर फसलों की खरीद राज्य सरकारों और नोडल एजेंसियों के जरिए पूरी करती है. केंद्र सरकार ने जवाब में बताया कि बीते 10 साल के दौरान फसलों की एमएसपी में लगभग दोगुनी की बढ़ोत्तरी की जा चुकी है.
कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना को लागू किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार प्रत्येक वर्ष राज्य सरकारों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों के अभिमतों पर विचार करने के बाद कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर पूरे देश के लिए 22 कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करती है.
केंद्र ने फसलों का एमएसपी बढ़ाया
वर्ष 2018-19 के केंद्रीय बजट में एमएसपी को उत्पादन लागत के कम से कम डेढ़ गुना स्तर पर रखने के पूर्व निर्धारित सिद्धांत की घोषणा की गई थी. तदनुसार सरकार ने वर्ष 2018-19 से अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर न्यूनतम 50 फीसदी लाभ के साथ सभी खरीफ, रबी और अन्य कमर्शियल फसलों के लिए एमएसपी में बढ़ोत्तरी की है.
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ज्वार-बाजरा समेत कई फसलों का भाव बढ़कर दोगुना हुआ
बताया गया कि धान (सामान्य) का भाव 2015-16 में 1410 रुपये प्रति क्विंटल था जिसे 2025-26 में बढ़ाकर 2369 रुपये किया गया है. जबकि, धान (ग्रेड ‘ए’) का मूल्य 1450 रुपये था, जिसे बढ़ाकर 2389 रुपये किया गया है. इसी तरह बाजरा का भाव 1275 रुपये प्रति क्विंटल था, जिसे बढ़ाकर 2775 रुपये किया गया है. ज्वार (हाईब्रिड) का भाव 1570 रुपये था जो अब तक दोगुना बढ़कर 3699 किया गया है. मक्का के लिए 1325 रुपये भाव था, जिसे बढ़ाकर 2400 रुपये किया गया है.
किसानों को एमएसपी के रूप में 3.47 लाख करोड़ रुपये की पेमेंट
बढ़ी हुई एमएसपी से देश के किसानों को लाभ हुआ है, जो खरीद के आंकड़ों और किसानों को दी गई एमएसपी राशि से स्पष्ट है. वर्ष 2024-25 (फसल वर्ष) के दौरान किसानों से 1,223 लाख मीट्रिक टन फसलों की खरीद की गई है, जिसके एवज में किसानों को एमएसपी के तहत 3.47 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.
बाजार मूल्य घटने पर पीएम आशा योजना के जरिए होती है खरीद
कृषि मंत्री ने कहा कि जब दलहन, तिलहन और कोपरा का बाजार मूल्य एमएसपी से कम हो जाता है, तब संबंधित राज्य सरकारों के परामर्श से इन उत्पादों की खरीद, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) की समग्र योजना के तहत मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत की जाती है. पीएम-आशा योजना के तहत खरीद एजेंसियां भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) हैं. सरकार की ओर से कपास और पटसन की खरीद भारतीय कपास निगम (सीसीआई) और भारतीय पटसन निगम (जेसीआई) के जरिए एमएसपी पर की जाती है.
सरकार तय खरीद एजेंसियों के जरिए कृषि फसलों की खरीद की पेशकश करती है और किसानों के पास अपनी उपज सरकारी एजेंसियों को या खुले बाजार में जो भी उनके लिए लाभदायक हो उन्हें बेचने का विकल्प है.