DSR तकनीक से खेती करने पर प्रति एकड़ मिलेंगे 1500 रुपये, 30 जून से पहले यहां करें रजिस्ट्रेशन

पंजाब सरकार ने गिरते भूजल स्तर को रोकने और किसानों का खर्च कम करने के लिए DSR तकनीक को बढ़ावा देने की पहल की है. इसे अपनाने पर किसानों को 1,500 रुपये प्रति एकड़ की मदद मिलेगी.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Published: 18 May, 2025 | 09:58 AM

पंजाब में गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए पंजाब सरकार ने नई पहल शुरू की है. इसके तहत वह प्रदेश में डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस (DSR) तकनीक को बढ़ावा देगी. वहीं, इस तकनीक को अपनाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1,500 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी. इस नई पहल से राज्य के करीब 15 से 20 फीसदी तक भूजल की बचत होने की उम्मीद है. साथ ही किसानों का खर्च भी कम होगा. दरअसल, DSR तकनीक में धान के बीज सीधे खेत में बोए जाते हैं, जिससे नर्सरी में पौधे उगाने और बाद में रोपाई की जरूरत नहीं पड़ती. यह तरीका पानी की काफी बचत करता है.

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि इस सीजन में सरकार ने पांच लाख एकड़ भूमि पर DSR तकनीक से धान बुवाई का लक्ष्य रखा है. उन्होंने कहा कि यह कदम किसानों के हितों की रक्षा और पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने की सरकार की बड़ी योजना का हिस्सा है. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि यह पहल भूजल के लगातार हो रहे दोहन को रोकने में एक अहम कदम है और किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मदद करेगी.

1500 रुपये प्रति एकड़ मिलेगी मदद

सरकार ने DSR तकनीक अपनाने वाले किसानों को प्रोत्साहन के तौर पर प्रति एकड़ 1,500 रुपये की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है. इसके लिए 2025-26 के बजट में 40 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है. जो किसान इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, वे 30 जून के बीच सरकारी पोर्टल agrimachinerypb.com पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.

DSR तकनीक के फायदे

मुख्यमंत्री ने DSR के आर्थिक फायदों को भी गिनाया. उन्होंने कहा कि यह तकनीक पानी की बचत के साथ-साथ मजदूरी के खर्च को भी लगभग 3,500 रुपये प्रति एकड़ तक कम कर देती है. उन्होंने कहा कि यह पंजाब के लिए एक बड़ी राहत है, क्योंकि यह पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए फायदेमंद है. ख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब के देश की खाद्य सुरक्षा में ऐतिहासिक योगदान को दोहराते हुए यह भी माना कि इस उपलब्धि की कीमत राज्य की मिट्टी और भूजल ने चुकाई है.

हमारी जमीन और पानी को नुकसान

उन्होंने कहा कि पंजाब ने देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन इसके बदले हमारी जमीन और पानी को नुकसान हुआ. मुख्यमंत्री ने किसानों से अपील की कि वे इस नई DSR तकनीक को अपनाएं, न केवल अपने फायदे के लिए, बल्कि इसे अपनी “मातृभूमि के प्रति कर्तव्य” समझकर अपनाएं. उन्होंने कहा कि यह कदम पंजाब की खेती को संकट से निकालने की दिशा में एक अहम प्रयास होगा.

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