1 अगस्त से UPI में होंगे बड़े बदलाव, जानिए क्या होगा नया और आप पर पड़ेगा कितना असर

NPCI ने सभी बैंकों और पेमेंट प्रोवाइडर्स को निर्देश दिया है कि वे 31 जुलाई तक यूपीआई के 10 सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले API को नियंत्रित करें. इसका मतलब है कि यूपीआई के कुछ फंक्शन्स के उपयोग पर नए नियम लागू होंगे.

नई दिल्ली | Updated On: 8 Jun, 2025 | 07:59 PM

भारत की सबसे लोकप्रिय डिजिटल पेमेंट प्रणाली, यूपीआई (Unified Payments Interface), 1 अगस्त 2025 से एक बड़े तकनीकी सुधार से गुजरने वाली है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने हाल ही में नए नियमों का ऐलान किया है, जिनका मकसद यूपीआई सिस्टम को और मजबूत, स्थिर और भरोसेमंद बनाना है. यह बदलाव मुख्य रूप से उस बढ़ती ट्रांजेक्शन संख्या और तकनीकी दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए किए जा रहे हैं, जिससे यूपीआई कभी-कभी ठप हो जाता है.

यूपीआई का दबाव बढ़ा, तकनीकी गड़बड़ियों से 40 करोड़ यूजर्स प्रभावित

यूपीआई भारत में डिजिटल लेनदेन का लगभग 83 फीसदी हिस्सा संभालता है. मई 2025 तक हर महीने 1,600 करोड़ से ज्यादा ट्रांजेक्शन यूपीआई के जरिए होते हैं, जिनकी कुल राशि 25 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक है. लेकिन मार्च-अप्रैल 2025 के बीच यूपीआई कई बार बंद हुआ, जिससे लाखों लोगों को परेशानी हुई. इन बार-बार की गड़बड़ियों की वजह रही बैंकिंग सिस्टम पर अत्यधिक दबाव और कई बार API (Application Programming Interface) के गलत इस्तेमाल. NPCI ने पाया कि कुछ बैंक और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर ‘ट्रांजेक्शन चेक’ API का गलत या बार-बार इस्तेमाल कर रहे थे, जिससे सिस्टम पर भार बढ़ा.

1 अगस्त से क्या-क्या बदलाव होंगे?

NPCI ने सभी बैंकों और पेमेंट प्रोवाइडर्स को निर्देश दिया है कि वे 31 जुलाई तक यूपीआई के 10 सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले API को नियंत्रित करें. इसका मतलब है कि यूपीआई के कुछ फंक्शन्स के उपयोग पर नए नियम लागू होंगे:

बैलेंस चेक की सीमा: अब आप किसी भी यूपीआई ऐप से दिन में सिर्फ 50 बार ही अपने बैंक खाते का बैलेंस देख पाएंगे.

लिंक्ड अकाउंट की लिस्ट देखना: मोबाइल नंबर से जुड़े बैंक खातों की लिस्ट केवल 25 बार प्रति ऐप रोज देखी जा सकेगी.

ऑटोपे का समय: SIP, Netflix जैसे ऑटोपे भुगतान अब केवल ट्रैफिक कम होने वाले समय पर होंगे- सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक, और रात 9:30 बजे के बाद.

ट्रांजेक्शन स्टेटस जांच: ट्रांजेक्शन स्टेटस केवल 3 बार दो घंटे के अंदर जांचा जा सकेगा, और हर जांच के बीच कम से कम 90 सेकंड का अंतर होना जरूरी होगा.

बैलेंस अपडेट के साथ नोटिफिकेशन: हर ट्रांजेक्शन के साथ बैंक आपके अकाउंट बैलेंस की जानकारी भी भेजेंगे, जिससे बार-बार बैलेंस चेक करने की जरूरत कम होगी.

इन बदलावों का आपको क्या असर होगा?

अधिकतर यूजर्स को शुरुआती दौर में ज्यादा फर्क महसूस नहीं होगा, लेकिन जो लोग हर ट्रांजेक्शन के बाद लगातार बैलेंस चेक करते हैं या अकाउंट की जानकारी बार-बार देखते हैं, उन्हें कुछ लिमिटेशन का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, अब हर सफल पेमेंट के साथ आपको रियल-टाइम बैलेंस अपडेट मिलेगा, जिससे अलग से बैलेंस चेक करने की जरूरत कम हो जाएगी.

ऑटोपे पेमेंट्स के मामले में भी थोड़ी देरी आ सकती है, क्योंकि ये पेमेंट अब केवल कम ट्रैफिक के समय में प्रोसेस होंगे. हालांकि, आप किसी भी समय ऑटोपे सेट कर सकते हैं, लेकिन उसका निष्पादन तय समय पर ही होगा.

NPCI का मकसद क्या है?

NPCI इन नियमों से यूपीआई की विश्वसनीयता बढ़ाना चाहता है ताकि सिस्टम ओवरलोड न हो और यूजर्स को परेशानी का सामना न करना पड़े. साथ ही, API के दुरुपयोग को रोककर सिस्टम को स्थिर बनाए रखना भी इसका लक्ष्य है. उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें नए यूजर्स को जोड़ने पर रोक या API एक्सेस प्रतिबंधित करना शामिल है.

Published: 9 Jun, 2025 | 07:00 AM