US में भारतीय शहद की ‘मिठास’ पर संकट, लीडरशिप पोजीशन के लिए खतरा बने ये देश

यूएस टैरिफ लगने के चलते भारतीय शहद निर्यात प्रभावित होने का खतरा है. टैरिफ की वजह से अर्जेंटीना, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन जैसे देशों से भारत को नुकसान पहुंच सकता है.

रिजवान नूर खान
Noida | Published: 5 Apr, 2025 | 03:05 PM

भारत के शहद की ‘मिठास’ पर संकट की आशंका है. शहद के मामले में भारत अमेरिका के लिए सबसे बड़ा निर्यातक है. लेकिन टैरिफ शुल्क के बाद उसकी लीडरशिप पोजीशन खतरे में है. माना जा रहा है कि ज्यादा शुल्क की वजह से अर्जेंटीना, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन जैसे देशों से उसको नुकसान पहुंच सकता है. अमेरिका को शहद निर्यात करने वाले देशों में भारत के बाद चीन का नंबर है, जिसकी इस वक्त अमेरिका से ठनी हुई है.

अंग्रेजी अखबार द बिजनेसलाइन के मुताबिक सरकार इस बात को लेकर आश्वस्त है कि भारत की स्थिति को खतरा नहीं पहुंचेगा. इसकी वजह यह है कि शहद के मामले में भारतीय गुणवत्ता का मुकाबला दुनिया नहीं कर पाती. सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने अखबार को बताया, ‘हमारा प्राकृतिक शहद सरसों की फसल पर आधारित है, जिससे मधुमक्खियां पित्ती (Hives) बनाती हैं. किसी अन्य देश में ऐसा प्रकार नहीं है जो वहां की जलवायु के अनुसार बदलता हो.’ सूत्रों ने कहा कि सरकार शहद के लिए निर्धारित न्यूनतम निर्यात मूल्य की भी समीक्षा कर सकती है कि क्या इसे कम किया जाए या अमेरिकी शुल्क के बाद इसे पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए.

नए टैरिफ के साथ एंटी डंपिंग शुल्क पर ऊहापोह

भारत ने 2023 में 185 मिलियन डॉलर के प्राकृतिक शहद का निर्यात किया था. इसमें से 161.08 मिलियन डॉलर मूल्य की उपज अमेरिका को भेजी गई थी. एपीडा द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार अर्जेंटीना 133.81 मिलियन डॉलर के निर्यात मूल्य के साथ दूसरे स्थान पर था.

शहद के निर्यात में दो मुद्दे हैं. भारत के शहद पर 5.8 प्रतिशत का एंटी-डंपिंग शुल्क लगता है. इसके साथ अब नई टैरिफ घोषणाएं हैं. दोनों शुल्क लगने हैं या कुछ और होगा, इसे लेकर अभी स्थिति पूरी तरह साफ नहीं है. फाइनल शुल्क की घोषणा अगले सप्ताह तक होने की उम्मीद है.

2022 में अमेरिका ने तीन भारतीय कंपनियों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया है. एक निर्यातक पर 6.24 प्रतिशत और अन्य निर्यातकों पर 5.87 प्रतिशत. लेकिन, वियतनाम पर एंटी डंपिंग शुल्क उसकी सभी निर्यात फर्मों के लिए 60.03 प्रतिशत है. सिर्फ दो फर्म हैं, जिन पर शुल्क अलग है. एक पर 58.74 प्रतिशत और दूसरी पर 61.27 प्रतिशत.

भारत के लिए संकट बन सकता है वियतनाम

वर्तमान में भारत के लिए पारस्परिक शुल्क दर 26 प्रतिशत है, जबकि वियतनाम के लिए यह 46 प्रतिशत और अर्जेंटीना के लिए 10 प्रतिशत है. कुछ निर्यातकों का मानना है कि अर्जेंटीना को भारत पर कुछ लाभ हो सकता है क्योंकि इसका एंटी डंपिंग शुल्क और टैरिफ मिलकर लगभग 27 प्रतिशत होगा. अर्जेंटीना के शहद निर्यातकों पर एंटी डंपिंग शुल्क अलग-अलग है.

केजरीवाल बी केयर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रकाश केजरीवाल ने कहा कि अगर वियतनाम के लिए फाइनल एंटी डंपिंग शुल्क भारत की स्थिति तय करेगा. अगर वियतनाम का शुल्क भारत के आसपास रहता है तो भारतीय निर्यातकों के लिए बहुत बुरी खबर होगी.

विशेषज्ञों के मुताबिक वियतनाम अपनी उत्पादन लागत और श्रम लागत के कारण भारत की तुलना में 50-60 प्रतिशत कम कीमत भी वहन करने में सक्षम है. यही भारत की चिंता को बढ़ाता है. भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शहद निर्यातक है. उसके पास दूसरे देशों में एंट्री की भी गुंजाइश है.

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