जब देश के कई राज्यों में सरकारी गेहूं खरीद का अभियान थम चुका था, तब राजस्थान ने मोर्चा संभाला और खरीद का आंकड़ा नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया. राज्य की सक्रिय भागीदारी और किसानों की मजबूत उपस्थिति ने भारत को 30 मिलियन टन से अधिक गेहूं खरीदने में मदद की, जो पिछले चार सालों में सबसे बड़ा आंकड़ा है.
गेहूं खरीद में राजस्थान बना हीरो
राजस्थान ने 2 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले 2.1 मिलियन टन गेहूं की सरकारी खरीद की, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग दोगुना है. खास बात यह है कि मई के बाद भी राज्य में खरीद जारी रही और सिर्फ 25 दिनों में 2.25 लाख टन गेहूं अतिरिक्त खरीदा गया. इससे देश की कुल खरीद सीधे 30 मिलियन टन के पार पहुंच गई.
एमएसपी के साथ बोनस ने बढ़ाया किसानों का भरोसा
राजस्थान और मध्यप्रदेश में सरकारों ने न सिर्फ न्यूनतम समर्थन मूल्य (2,425 रुपये/क्विंटल) पर खरीद की, बल्कि इसके साथ अतिरिक्त बोनस भी दिया गया. यही वजह रही कि इन राज्यों के किसान मंडियों तक गेहूं लेकर आए और सरकारी खरीद में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. इससे सरकारी गोदामों का स्टॉक भी सुधरा है.
बाकी राज्यों का हाल कैसा रहा?
पंजाब और हरियाणा जैसे गेहूं उत्पादन वाले बड़े राज्यों में इस बार खरीद में थोड़ी कमी रही. उत्तर प्रदेश में तो स्थिति और भी कमजोर दिखी. यहां देखें कुछ प्रमुख राज्यों का तुलनात्मक डेटा:
राज्य | अनुमानित उत्पादन | गेहूं खरीद (2025-26) | लक्ष्य | पिछली साल की खरीद |
उत्तरप्रदेश | 36.24 मिलियन टन | 1.03 मिलियन टन | 3 मिलियन टन | 0.93 मिलियन टन |
मध्यप्रदेश | 23.37 मिलियन टन | 7.77 मिलियन टन | 8 मिलियन टन | 4.84 मिलियन टन |
पंजाब | 17.91 मिलियन टन | 11.93 मिलियन टन | 12.4 मिलियन टन | 12.47 मिलियन टन |
हरियाणा | 11.48 मिलियन टन | 7.14 मिलियन टन | 7.5 मिलियन टन | 7.15 मिलियन टन |
क्यों है ये आंकड़ा अहम?
कृषि मंत्रालय के अनुसार, 2024-25 में देश का गेहूं उत्पादन 117.51 मिलियन टन तक पहुंच सकता है. ऐसे में खरीद का आंकड़ा 30 मिलियन टन तक पहुंचना इस बात का संकेत है कि सरकार के पास पर्याप्त भंडारण होगा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए स्टॉक की चिंता नहीं होगी.