खेती के लिहाज से कद्दू की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित होती है. कद्दू एक कम लागत में अच्छी पैदावार देने वाली सब्जी है. भारत में इसकी खेती बड़े पैमाने पर कई अलग-अलग हिस्सों में की जाती है. कद्दू की फसल मुख्य रूप से गर्म जलवायु में अच्छे से ग्रोथ करती है. इसकी खेती का समय मार्च से जून तक का माना जाता है. खबर में आगे बात करेंगे कैसे होती है कद्दू की खेती और किसानों को कितना होता है मुनाफा.
सही जलवायु और मिट्टी का चुनाव
कद्दू की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सही होती है जिसका pH मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए. कद्दू की खेती के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे सही होता है. बता दें कि कद्दू की बुवाई के लिए फरवरी से मई और जून से जुलाई के बीच का समय बेस्ट होता है.
खेती करने का सही तरीका
कद्दू की खेती करने से पहले खेत की 2 से 3 बार गहरी जुताई करें और मिट्टी में अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं. प्रति एकड़ फसल के लिए 1.5 से 2.5 किग्रा बीज की जरूरत होती है. बीजों की बुवाई से पहले 2 ग्राम थिरम या 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम से प्रति किग्रा बीज का उपचार करें. बुवाइ करते समय पंक्तियों के बीच 1.5–1.8 मीटर और पौधों के बीच 60 सेमी की दूरी रखें. ध्यान रखें कि बीजों को 2.5 से 3 सेमी की गहराई में बोएं.
पैदावार और मुनाफा
बात करें कद्दू की फसल से होने वाली पैदावार की तो कद्दू की फसल से औसतन 80 से 100 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार हो सकती है. कददू की कुछ उन्नत किस्में हैं जो 60 से 90 दिनों में पककर तैयार होती है. वहीं कुछ ऐसी किस्में भी हैं जो 100 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं. प्रति एकड़ कद्दू की खेती में करीब 3 हजार रुपये की लागत आती है. बता दें कि कद्दू की 60 क्विंटल पैदावार से किसान को करीब 15 हजार से 30 हजार तक का शुद्ध मुनाफा हो सकता है. इस लिहाज से कद्दू की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा होता है और इसकी खेती से वे आर्थिक तौर पर मजबूत भी हो सकते हैं.