प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) मछुआरों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इस योजना ने मत्स्य पालन को नया जीवन दे दिया है. मछली उत्पादन बढ़ाने, आधुनिक तकनीक लाने और मछुआरों की जिंदगी संवारने के लिए केंद्र सरकार ने कमर कस ली है. 2020-21 से 2024-25 तक चलने वाली इस योजना में मछुआरों को लाखों की सब्सिडी और आसान लोन की सुविधा मिल रही है. क्यों है खास यह योजना? चलिए जानते हैं.
पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों का विशेष ध्यान
PMMSY के तहत कई गतिविधियों को वित्तीय सहायता दी जाती है. इसमें अंतर्देशीय और समुद्री मत्स्य पालन,जलकृषि,समुद्री शैवाल की खेती,सजावटी मछली पालन और गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाजों का विकास शामिल है. इसके अलावा,कटाई के बाद की सुविधाएं, शीत श्रृंखला, बाजार और विपणन ढांचे को भी बढ़ावा दिया जाता है. योजना में मछुआरों की सुरक्षा, जलीय स्वास्थ्य प्रबंधन और निगरानी तंत्र को मजबूत करने का भी प्रावधान है. विशेष रूप से पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में मत्स्य पालन को खास तवज्जो दी जा रही है.
2 करोड़ तक की क्रेडिट गारंटी
यह योजना 2020-21 से 2024-25 तक लागू है. इससे मछुआरों को जरूरत के हिसाब से लोन, कम ब्याज और 2 करोड़ तक की क्रेडिट गारंटी मिलेगी. इसमें सामान्य वर्ग को प्रोजेक्ट लागत का 40 फीसदी और अनुसूचित जाति/जनजाति/महिलाओं को 60 फीसदी तक सब्सिडी दी जाएगी. इससे न सिर्फ मछुआरों की आय बढ़ेगी, बल्कि रोजगार के नए रास्ते भी खुलेंगे.
मछुआरों की जिंदगी बदलेगी
PMMSY मछुआरों को आधुनिक तकनीक और संसाधन दे रही है. गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए बेहतर जहाज, जलीय स्वास्थ्य प्रबंधन और निगरानी तंत्र से मछुआरों का काम आसान हो रहा है. यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ भारत को मछली उत्पादन में दुनिया का सिरमौर बनाने की दिशा में बड़ा कदम है.
वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा
PMMSY मछुआरों को आधुनिक तकनीकों और संसाधनों तक पहुंच प्रदान करती है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है. यह योजना रोजगार के अवसर बढ़ाने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और मत्स्य पालन क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद कर रही है.