World Bamboo Day: बांस को जलाना क्यों माना जाता है अशुभ, जानिए इसके पीछे छुपा वैज्ञानिक और धार्मिक सच

बांस को जलाने से निकलने वाला धुआं सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है. बांस में पाई जाने वाली रासायनिक धातुएं हवा को प्रदूषित कर सकती हैं, जिससे आसपास का वातावरण अस्वस्थ हो जाता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 18 Sep, 2025 | 07:37 AM

World Bamboo Day: हमारे आसपास कई ऐसी परंपराएं और मान्यताएं हैं, जिनका कारण सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी होता है. बांस की लकड़ी को जलाना भी ऐसी ही एक परंपरा है. आपने देखा होगा कि घर की पूजा, खाना बनाने या अंतिम संस्कार की चिता जलाने में बांस की लकड़ी का इस्तेमाल नहीं किया जाता. लोग इसे अशुभ मानते हैं और जलाने से बचते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे केवल आस्था ही नहीं बल्कि सेहत से जुड़ा बड़ा कारण भी है? आइए जानते हैं इस परंपरा का रहस्य.

धार्मिक मान्यता: जन्म से मृत्यु तक जुड़ा है बांस

बांस को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि भगवान कृष्ण हमेशा अपनी बांसुरी साथ रखते थे, जो बांस से ही बनी होती है. शादियों में मंडप बनाने से लेकर अंतिम संस्कार तक, बांस हर रस्म में किसी न किसी रूप में शामिल रहता है. शादी में मंडप की खंभों में बांस का उपयोग शुभ माना जाता है, वहीं अंतिम यात्रा में शव को ले जाने के लिए बांस की टोकरी या टिठ्ठी का प्रयोग किया जाता है.

जन्म से लेकर मृत्यु तक के इन महत्वपूर्ण संस्कारों में बांस की उपस्थिति इसे और भी खास बनाती है. यही वजह है कि इसे जलाना अपवित्र या अशुभ समझा जाता है. प्राचीन काल में बांस का इस्तेमाल घर बनाने, बर्तन तैयार करने और कई तरह के सामान बनाने के लिए भी किया जाता था. ऐसे में बांस को जलाना बेकार और पाप की तरह माना जाता था.

वैज्ञानिक कारण: जहरीला धुआं बन सकता है खतरा

आस्था के अलावा बांस को न जलाने का एक बड़ा वैज्ञानिक कारण भी है. बांस की लकड़ी में लेड (Lead) और अन्य हानिकारक धातुएं पाई जाती हैं. जब बांस को जलाया जाता है, तो इसमें मौजूद ये तत्व धुएं के साथ हवा में घुल जाते हैं और सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकते हैं.

यह धुआं कई गंभीर बीमारियों को जन्म देता है. रिसर्च के अनुसार, बांस जलने से निकलने वाला धुआं न्यूरोलॉजिकल (दिमाग से जुड़ी) और लिवर से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है. लंबे समय तक इसके धुएं के संपर्क में रहने से सांस की बीमारियां और एलर्जी भी हो सकती हैं. यही कारण है कि वैज्ञानिक भी बांस को जलाने से सख्त मना करते हैं.

पर्यावरण की दृष्टि से भी नुकसान

बांस को जलाने से निकलने वाला धुआं सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है. बांस में पाई जाने वाली रासायनिक धातुएं हवा को प्रदूषित कर सकती हैं, जिससे आसपास का वातावरण अस्वस्थ हो जाता है. यही वजह है कि प्राचीन समय से ही लोग बांस को जलाने के बजाय इसे अन्य उपयोगी कार्यों में लगाते थे, जैसे निर्माण, सजावट और संगीत वाद्य बनाने में.

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