सिंदूर की खेती से बदली महिला किसानों किस्मत, 1.50 लाख के खर्च में 9 लाख की कमाई

Sindoor Ki Kheti: खंडवा जिला पंचायत के सीईओ डॉक्टर नागार्जुन बी गौड़ा ने कहा कि जितना सिंदूर एक पौधा से आना चाहिए उतना आ रहा है. इसके बाद ही जिले में इसकी खेती बड़े स्तर पर करने का निर्णय लिया गया है. सिंदूर की डिमांड पूरे विश्व में है. जर्मन कंपनी के जुड़ने से किसानों को अच्छा भाव मिलने का रास्ता साफ हुआ है.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Updated On: 21 Dec, 2025 | 03:08 PM
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Sindoor Plant: मध्य प्रदेश में सिंदूर की खेती करके महिलाओं ने अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में कामयाबी हासिल की है. कुसुम के फूलों की खेती को सिंदूर की खेती कहा जाता है. राज्य के खंडवा इलाके में बड़े पैमाने पर किसान इसकी खेती कर रहे हैं. जर्मन कंपनी की ओर से फूलों की खरीद करने से स्थानीय किसानों को उम्मीद से अधिक भाव मिल रहा है, जिसकी वजह से ज्यादातर किसानों ने इसकी खेती की ओर रुचि दिखाई है. स्थानीय प्रशासन ने भी कुसुम के अच्छे किस्म के बीज किसानों को उपलब्ध करा रहा है.

जर्मन कंपनी ने महिला किसानों के एफपीओ से करार किया

मध्य प्रदेश के खंडवा में सिंदूर यानी कुसुम के फूलों की की खेती शुरू की गई है. महिला किसानों के इसकी खेती के लिए किए गए कुछ सफल प्रयोग के बाद जिले में सिंदूर के दो लाख पौधे रोपे जाएंगे. जर्मनी की एक कंपनी ने सिंदूर के लिए इन किसानों को खंडवा जिला पंचायत विभाग की ओर से कांट्रेक्ट स्व सहायता समूह की महिलाओं को दिलवाया है. जर्मन कंपनी कुसुम के फूलों से सिंदूर बनाने के साथ ही फूड कलर बनाने में इनका इस्तेमाल करेगी.

1.50 लाख की लागत में 9 लाख रुपये की कमाई

कुसुम के फूलों की खेती करने में एक एकड़ की फसल के लिए मात्र 1.50 लाख रुपये की लागत आती है. स्थानीय महिलाएं इतनी लागत लगाकर सालभर में 9 लाख रुपये से अधिक की कमाई कर पा रही हैं. महिला किसानों के स्वयं सहायता समूह कृषि नमामि संस्थान महिला और पुरुष किसानों को खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहा है.

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सिंदूर के खेत में महिलाएं. खंडवा जिला पंचायत के सीईओ डॉक्टर नागार्जुन बी गौड़ा (नीचे तस्वीर).

सिंदूर की खेती का प्रयोग सफल रहा

खंडवा जिला पंचायत के सीईओ डॉक्टर नागार्जुन बी गौड़ा ने कहा कि पंधाना ब्लाक के ग्राम जलकुआं स्थित महिला स्वयं सहायता समूहों की ओर से संचालित कृषि नमामि संस्थान सिंदूर की फार्मिंग करने वाली मध्य प्रदेश की पहली कंपनी होगी. जलकुआं के पास सिंदूर की फसल का प्रयोग दो तीन पेड़ लगाकर की जा चुकी है.

जितना सिंदूर एक पौधा से आना चाहिए उतना आ रहा

खंडवा जिला पंचायत के सीईओ डॉक्टर नागार्जुन बी गौड़ा ने कहा कि जितना सिंदूर एक पौधा से आना चाहिए उतना आ रहा है. इसके बाद ही जिले में इसकी खेती बड़े स्तर पर करने का निर्णय लिया गया है. सिंदूर की डिमांड पूरे विश्व में है, भारत में भी इसका आयात अन्य देशों से होता है. जर्मन कंपनी के जुड़ने से किसानों को अच्छा भाव मिलने का रास्ता साफ हुआ है, जिसकी वजह से किसानों में उत्साह बढ़ा है.

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Published: 21 Dec, 2025 | 03:03 PM
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