मशरूम की बढ़ती डिमांड और अच्छे बाजार भाव को देखते हुए इसे किसानों की कमाई बढ़ाने वाली व्यावसायिक खेती माना जा रहा है. कम लागत में ज्यादा कमाई कराने के लिए किसानों को मशरूम की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसीलिए उत्तराखंड सरकार मशरूम ग्राम शुरू कर रही है. मशरूम ग्राम मॉडल के तहत किसानों को स्थानीय स्तर पर सभी तकनीक, ट्रेनिंग और बिक्री की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार जिले में ‘मशरूम ग्राम’ का शुभारंभ कर दिया है. उन्होंने कहा कि यह पहल किसानों की आय बढ़ाने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और कृषि क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. उन्होंने कहा कि किसानों को व्यावसायिक खेती की ओर बढ़ना होगा, ताकि उनकी कमाई को बढ़ाया जा सके.
‘मशरूम ग्राम’ मॉडल अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणास्रोत
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार जिले के बुग्गावाला में ‘मशरूम ग्राम’ के शुभारंभ पर कहा कि यह पहल किसानों की आय बढ़ाने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में अहम कदम है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मशरूम उत्पादन कम भूमि, कम जल और कम समय में अधिक लाभ देने वाला प्रभावी उद्यम है, जिससे किसान अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ‘मशरूम ग्राम’ मॉडल राज्य के अन्य क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनेगा.
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मशरूम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाएंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड के माध्यम से राज्य के स्थानीय कृषि उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का कार्य किया जा रहा है. इससे उत्तराखंड कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा और किसानों की समृद्धि सुनिश्चित होगी. ‘मशरूम ग्राम’ मॉडल का लक्ष्य कृषि के अलावा आय का दूसरा स्रोत, और उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में रोजगार व रोजगार सुरक्षा का सृजन करना भी है.

मशरूम खेती को ग्रामीण स्तर पर एक सशक्त आय स्रोत बनाने के लिए “मशरूम ग्राम मॉडल” जैसे प्रोजेक्ट लागू किए जा रहे हैं.
मशरूम की खेती के लिए ट्रेनिंग भी दी जा रही
उत्तराखंड में मशरूम खेती को ग्रामीण स्तर पर एक सशक्त आय स्रोत बनाने के लिए “मशरूम ग्राम मॉडल” जैसे प्रोजेक्ट लागू किए जा रहे हैं. यह मॉडल छोटे किसानों, ग्रुप्स, स्व-सहायता समूहों (SHGs) और ग्रामीण युवाओं को आय, आत्मनिर्भरता व कौशल विकास के लिए केंद्रित है. मशरूम की खेती के लिए ग्रामीण परिवारों को कौशल (ट्रेनिंग) के साथ यूनिट लगाने में मदद करने और मार्केटिंग सपोर्ट दिया जाएगा.
मशरूम यूनिट लगाने में कितना खर्च आएगा
मशरूम विलेज मॉडल के तहत किसानों को बटन, ओएस्टर मशरूम, पोरटबेलो मशरूम उगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है और यूनिट लगाने के लिए कृषि विभाग और उद्यान विभाग की ओर से सब्सिडी राशि भी दी जा रही है. मशरूम उगाने के लिए एक यूनिट में स्पॉन सामग्री में 10,000 रुपये, सब्सट्रेट में 6,000 रुपये, तम्बू या शेड और रैक बनाने के लिए 10,000 रुपये के आसपास खर्च होता है. यानी मशरूम यूनिट लगाने में लगभग 50 हजार रुपये का खर्च आता है.