बारिश और भूस्खलन के बीच सेब व्यापार ने तोड़ा रिकॉर्ड, हिमाचल के व्यापारियों-बागवानों के चेहरे खिले

इस साल जून से सितंबर तक मूसलाधार बारिश के कारण कई जगहों पर सड़कें क्षतिग्रस्त हुईं. बावजूद इसके, सरकार ने रिकॉर्ड समय में क्षतिग्रस्त सड़कों को बहाल किया या अस्थायी मार्ग जोड़े. सेब के परिवहन में देरी न हो, इसके लिए 24 घंटे काम किया गया.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 20 Sep, 2025 | 10:15 AM

Himachal Apple Sales Record: हिमाचल प्रदेश में सेब का सीजन इस साल भी धूमधाम के साथ शुरू हुआ है. मूसलाधार बारिश और कई इलाकों में सड़कों के क्षतिग्रस्त होने के बावजूद, 27 जून से 15 सितंबर के बीच कुल 1.73 करोड़ 74 लाख 204 पेटियां (प्रति पेटी 20 किलो) मंडियों में पहुंची हैं. यह पिछले साल के मुकाबले लगभग 50 लाख पेटियों अधिक है. मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार सेब उत्पादकों के हितों की रक्षा और उनकी भलाई के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

बढ़ी बिक्री, व्यापार में मजबूती

शिमला और किन्नौर एपीएमसी से इस साल 1,09,86,863 पेटियां बिकीं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 77,40,164 पेटियां ही बिकी थीं. सोलन एपीएमसी ने 24,90,835 पेटियों की बिक्री दर्ज की, जो पिछले साल 22,18,685 पेटियों के मुकाबले अधिक है. मंडी एपीएमसी से इस साल 16,81,055 पेटियां और कुल्लू एपीएमसी से 20,88,374 पेटियां बिकीं, जबकि 2024 में कुल्लू में केवल 14,03,392 पेटियां बिकी थीं. इस आंकड़े से यह स्पष्ट होता है कि भले ही मौसम और सड़कें चुनौतीपूर्ण रही हों, व्यापार में अच्छी तेजी रही.

बारिश और सड़क की स्थिति

इस साल जून से सितंबर तक हिमाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश और भूस्खलनों के कारण कई जगहों पर सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं. कुछ क्षेत्रों में भूस्खलन की वजह से मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गए थे. बावजूद इसके, सरकार ने रिकॉर्ड समय में क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत की या अस्थायी मार्ग जोड़े ताकि सेब का परिवहन प्रभावित न हो. समय पर मंडियों तक सेब पहुंचाने के लिए 24 घंटे काम किया गया. मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त ट्रकों की तैनाती के निर्देश दिए और अधिकारियों को निर्देशित किया कि किसी भी देरी की स्थिति में किसानों और व्यापारियों को नुकसान न पहुंचे.

एचपीएमसी की सक्रिय भूमिका

एचपीएमसी ने इस साल 55,000 मीट्रिक टन सेब की खरीद की है, जो पिछले साल की तुलना में दोगुना से भी अधिक है. राज्यभर में 274 संग्रहण केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां सेब की खरीद सुचारू रूप से हो रही है. पराला (शिमला), परवाणू (सोलन) और जरोल (मंडी) स्थित एचपीएमसी फल प्रसंस्करण संयंत्र पूरी क्षमता से चल रहे हैं, प्रतिदिन लगभग 400 टन सेब का प्रसंस्करण किया जा रहा है.

सरकार की पहल और यूनिवर्सल कार्टन योजना

सीएम सुक्खू ने कहा कि लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और बागवानों के शोषण को रोकने के लिए यूनिवर्सल कार्टन योजना लागू की गई है. इससे छोटे और बड़े दोनों तरह के बागवानों को फायदा मिलेगा और सेब की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद मिलेगी.

Published: 20 Sep, 2025 | 09:55 AM

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