किन पोषक तत्वों की कमी से गेहूं का पौधा रह जाता है बौना और पत्तियां हो जाती हैं पीली, जानें बचाव के उपाय

मिट्टी में जिंक और सल्फर की कमी के चलते भी पत्तियां पीली हो जाती हैं. इसलिए किसानों को खेत में जिंक, सल्फर और फास्फोरस जैसे जरूरी पोषक तत्वों का छिड़काव कम से कम तीन साल में एक बार जरूर करें. जिंक के लिए प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलो की मात्रा खेत में डालनी चाहिए.

नोएडा | Updated On: 18 Dec, 2025 | 10:57 PM

wheat farming: उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में रबी फसल की बुवाई पूरी हो चुकी है. अब किसान गेहूं की पहली सिंचाई कर रहे हैं. लेकिन इसके साथ ही गेहूं की फसल में रोग लगने की शिकायतें भी आ रही हैं. किसानों का कहना है कि सिंचाई के बाद गेहूं की पत्तियां पीली हो रही हैं. ऐसे में किसानों को डर सता रहा है कि अगर समय पर इलाज नहीं हुआ तो उत्पादन पर असर पड़ सकता है. इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा. लेकिन किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम कुछ ऐसे टिप्स के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसे अपनाते ही फसल की पैदावार बढ़ जाएगी और फसल भी हरी भरी हो जाएगी.

कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, गेहूं में पीलापन या सूखने के अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं. कहीं पौधे की पूरी टहनी ऊपर से नीचे तक पीली पड़ जाती है, तो कहीं नीचे की पत्तियां हरी रहती हैं, लेकिन ऊपर की पत्तियां सूखने लगती हैं. हालांकि, कुछ जगह नीचे की टहनी पीली और ऊपर की हरी दिखती है. वहीं कई बार पत्तियों पर पीले धब्बे भी नजर आते हैं. ऐसे में किसानों को समझना चाहिए कि ये लक्षण किसी रोग के नहीं, बल्कि गेहूं की फसल  में अलग-अलग पोषक तत्वों की कमी के संकेत हो सकते हैं. अगर समय रहते सही पोषक तत्वों का छिड़काव कर दिया जाए, तो फसल दोबारा स्वस्थ हो सकती है और नुकसान से बचा जा सकता है. इसलिए लक्षण दिखते ही सलाह लेकर उचित उपचार करना जरूरी है.

सल्फर की कमी के चलते भी पत्तियां पीली हो जाती हैं

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, मिट्टी में जिंक और सल्फर की कमी के चलते भी पत्तियां पीली  हो जाती हैं. इसलिए किसानों को खेत में जिंक, सल्फर और फास्फोरस जैसे जरूरी पोषक तत्वों का छिड़काव कम से कम तीन साल में एक बार जरूर करें. जिंक के लिए प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलो की मात्रा खेत में डालनी चाहिए. इसी तरह जब पोटाश का उपयोग किया जाए, तो उसमें भी यही संतुलित अनुपात अपनाना चाहिए. इससे मिट्टी की सेहत सुधरेगी और फसल स्वस्थ बनी रहेगी.

जिंक की कमी होने पर पौधा बौना रह जाता है

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, गेहूं की फसल में जिंक की कमी होने पर पौधा बौना रह जाता है और उसकी बालियां छोटी बनती हैं. अगर सल्फर की कमी हो, तो नीचे की पत्तियां हरी रहती हैं जबकि ऊपर की पत्तियां पीली दिखाई देने लगती हैं. वहीं कई बार यूरिया की कमी  से नीचे की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और ऊपर की पत्तियां हरी रहती हैं. इन लक्षणों से किसान आसानी से पोषक तत्व की कमी पहचान सकते हैं.

पूरे खेत में जिंक का छिड़काव करें

अगर खेत में पूरा पौधा पीला नजर आए, तो पूरे खेत में जिंक का छिड़काव  करें. इसके लिए 3 से 5 ग्राम जिंक सल्फेट (7H₂O, हेक्ट्रा हाइड्रेट) प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाएं. एक एकड़ के लिए करीब आधा किलो जिंक सल्फेट को 200 लीटर पानी में घोलें और उसमें 1 किलो यूरिया मिला लें. इस घोल का छिड़काव सुबह या शाम के समय करें. इससे जिंक, सल्फर या यूरिया की कमी के कारण हो रहा पीलापन धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा और फसल स्वस्थ बनेगी.

Published: 19 Dec, 2025 | 06:45 AM

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