गेहूं की फसल को चूहों से बचाने का अनोखा तरीका, अब उल्लू को बनाएं अपना दोस्त

उल्लू को खेतों में आकर्षित करके किसान बिना किसी रासायनिक उपाय के फसल को सुरक्षित रख सकते हैं.

Kisan India
Noida | Published: 1 Apr, 2025 | 10:00 PM

भारत में गेहूं सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक है. लेकिन किसानों के लिए अपनी फसल को बचाना कई बार मुश्किल हो जाता है. खासकर तब जब चूहों का प्रकोप खेतों और भंडारण जैसी जगह पर होने लगे. हाल के सालों में इस समस्या से निपटने के लिए किसान रासायनिक उपायों का सहारा लेते हैं, लेकिन प्राकृतिक समाधान के रूप में उल्लू एक शानदार विकल्प हो सकता है.

उल्लू न केवल चूहों की संख्या को नियंत्रित करता है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है. तो चलिए जानते हैं कि कैसे अपने खेतों में आप उल्लू को बुलाकर चुहों का खात्मा कर सकते हैं.

क्यों हैं चूहें खतरा?

फसल को करते हैं खराब: चूहे गेहूं के पौधों को कुतरकर गिरा देते हैं, जिससे उत्पादन में कमी आती है.

अनाज की बर्बादी: कटाई के बाद भंडारण के दौरान चूहे अनाज खाते हैं और बोरियों को भी नुकसान पहुंचाते हैं.

अनाज को करते है दूषित: चूहे अपने मल, मूत्र और फर से अनाज को दूषित कर देते हैं, जिससे वह खाने योग्य नहीं रहता.

रोगों का फैलाव: चूहे कई प्रकार की बीमारियां फैलाते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकती हैं.

आर्थिक नुकसान: फसल और भंडारण में नुकसान से किसानों को भारी आर्थिक हानि होती है.

उल्लू: प्राकृतिक समाधान

रात के समय उल्लू सक्रिय रहता है और चूहों का शिकार करके पेट भरता है. इसकी तेज नजर और सुनने की क्षमता इसे बेहतरीन शिकारी बनाती है. उल्लू को खेतों में आकर्षित करके किसान बिना किसी रासायनिक उपाय के फसल को सुरक्षित रख सकते हैं.

कैसे करें उल्लू को खेतों में आकर्षित?

ऊंचे बैठने के स्थान बनाएं: खेतों में बांस की फट्टी या लकड़ी के खंभे लगाएं ताकि उल्लू वहां बैठकर चूहों का शिकार कर सकें.

पॉलीथिन की मदद से ध्वनि उत्पन्न करें: पॉलीथिन को बांस की फट्टी पर लपेट दें. हवा चलने पर निकलने वाली फर-फर की आवाज चूहों को डराकर बाहर भगाती है और उल्लू को शिकार में मदद करती है.

रात्रि में सावधानी: फरवरी-मार्च के दौरान जब गेहूं में बालियां निकलती हैं, उस समय विशेष ध्यान दें. अगर बालियां असामान्य रूप से ऊंची दिखाई दें, तो समझिए वहां चूहों का प्रकोप है.

उल्लू का संरक्षण क्यों जरूरी है?

अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र के कारण उल्लुओं का शिकार किया जाता है, जिससे उनकी संख्या लगातार घट रही है.

भारत में उल्लू वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित हैं.

उल्लू का अवैध शिकार करने पर तीन साल तक की सजा का प्रावधान है.

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Published: 1 Apr, 2025 | 10:00 PM

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