आज के युवा किसान अब पारंपरिक खेती से हटकर नई तकनीक और उन्नत फसलों की ओर बढ़ रहे हैं. खासकर फूलों की खेती से किसानों को शानदार मुनाफा मिल रहा है. गेंदा, गुलाब और जरबेरा जैसे फूलों की खेती अब किसानों के लिए आमदनी का नया रास्ता बन चुकी है. इनमें जरबेरा की खेती सबसे ज्यादा चर्चा में है, क्योंकि इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार लगाने के बाद यह पौधा सात साल तक लगातार फूल देता है. कम मेहनत में ज्यादा कमाई और सरकार से मिलने वाली सब्सिडी के कारण किसान तेजी से इस ओर आकर्षित हो रहे हैं.
जरबेरा की खेती: एक बार लगाओ, सालों तक कमाओ
जरबेरा एक ऐसा फूल है जो मुख्य रूप से सजावट, शादी-ब्याह और कार्यक्रमों में बहुत अधिक इस्तेमाल होता है. इसकी बाजार में सालभर मांग बनी रहती है. इसकी खेती पॉली हाउस में की जाती है, जहां तापमान और नमी को नियंत्रित किया जाता है. एक बार इसकी खेती शुरू करने के बाद किसान को लगातार सात वर्षों तक अच्छी फसल मिलती है. इसलिए इसे लंबे समय तक मुनाफा देने वाली फसल भी कहा जाता है. जरबेरा की खेती में शुरुआत में थोड़ा खर्च जरूर होता है, लेकिन इसका रिटर्न बहुत ज्यादा होता है. इसकी खेती करने वाले किसान बताते हैं कि एक एकड़ में लगभग 30 लाख रुपये की लागत आती है, लेकिन एक बार फसल तैयार हो जाने के बाद सालाना 30 से 35 लाख रुपये तक की आमदनी होती है.
ड्रिप तकनीक और पॉलीहाउस से बढ़ी उपज
जरबेरा की खेती खास तकनीक से की जाती है. इसमें पौधों को पानी देने के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का उपयोग किया जाता है. इससे पानी की बर्बादी नहीं होती और पौधों को जरूरत के अनुसार नमी मिलती है. इससे पौधों की ग्रोथ अच्छी होती है और फूलों की संख्या तथा गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होती है. पॉलीहाउस में तापमान और नमी को कंट्रोल करके फसलों को खराब मौसम से भी बचाया जा सकता है. यही कारण है कि जरबेरा की खेती पॉलीहाउस में ज्यादा सफल रहती है. इसके साथ ही इसमें कीट और रोग का खतरा भी कम हो जाता है, जिससे फूलों की गुणवत्ता बेहतर बनी रहती है.
सरकार से सब्सिडी और गांव में रोजगार
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए जरबेरा की खेती पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी देती है. इससे खेती की लागत काफी कम हो जाती है और मुनाफा बढ़ जाता है. यह सब्सिडी पॉलीहाउस लगाने, ड्रिप सिस्टम लगाने और अन्य उपकरणों की खरीद पर दी जाती है. इस खेती के माध्यम से किसान खुद तो मुनाफा कमा ही रहे हैं, साथ ही अपने गांव में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रहे हैं. एक पॉलीहाउस में करीब 10-12 लोगों को रोजगार दिया जा सकता है. इससे गांव के लोग भी आत्मनिर्भर बन रहे हैं.
नौकरी छोड़कर खेती को बनाया करियर
कुछ युवा किसानों ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की बजाय खेती को चुना और जरबेरा की खेती में करियर बनाया. शुरुआत में कुछ चुनौतियां आईं, लेकिन धैर्य और मेहनत से आज वे लाखों रुपये सालाना कमा रहे हैं. उनका कहना है कि यदि आधुनिक तकनीक और सही मार्गदर्शन मिले तो खेती भी किसी बिजनेस से कम नहीं.