क्या है जीरो टिलेज तकनीक, जानिए कैसे घटा देती है खेती की लागत

पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे जिलों में किसान खास तौर पर धान के बाद गेहूं की बुवाई के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. साथ ही ICAR जैसी संस्थान भी खेती के इस तरीके को बढ़ावा दे रही है.

नोएडा | Updated On: 3 Jun, 2025 | 03:08 PM

आज के समय में किसान कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं. जिसके लिए वे खेती करने के कई अलग-अलग तरीकों को अपनाते हैं. आज सरकार भी किसानों को खेती करने के आधुनिक तरीकों के बारे में ट्रेनिंग देती है साथ ही उन्हें आधुनिक खेती करने के लिए बढ़ावा भी देती है. ऐसे ही खेती करने की एक आधुनिक तकनीक है जीरो टिलेज तकनीक (Zero Tillage Technique). इस तकनीक की मदद से बिना खेत की जुताई किए ही बीजों को बोया जा सकता है.

जीरो टिलेज तकनीक

इस तकनीक को शून्य जुताई तकनीक भी कहा जाता है. ये खेती करने का एक ऐसा आधुनिक तरीका है जिसमें किसानों को खेत की जुताई करने की जरूरत नहीं होती है. किसान बिना जुताई किए ही सीधे बीजों को बो सकते हैं. इस तकनीक में खेत की मिट्टी को पलटने की जगह पिछली फसल के अवशेषों को मिट्टी से हटाए बिना ही नई फसल के बीज बो दिए जाते हैं. ये बीज जीरो टिलेज मशीन की मदद से लगाए जाते हैं.

इस तकनीक के फायदे

बात करें जीरो टिलेज तकनीक के फायदों की तो इसकी मदद से खेती करने पर किसान की लागत में कमी आती है. जुताई पर किसी तरह का खर्च नहीं करना पड़ता है. बीजों के सीधे बुवाई से समय की भी बचत होती है. क्योंकि खेत की जुताई नहीं होती इसलिए मिट्टी में नमी बनी रहती है तो एक तरह से पानी की भी बचत होती है.खेती की मिट्टी को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है. पिछली फसल के अवशेषों के कारण खरपतवार भी दब जाते हैं.

उत्तर प्रदेश समेत कई जिलों में इस्तेमाल

भारत के कई राज्यों में किसान खेती के लिए जीरो टिलेज तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं . पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे जिलों में किसान खास तौर पर धान के बाद गेहूं की बुवाई के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. साथ ही ICAR जैसी संस्थान भी खेती के इस तरीके को बढ़ावा दे रही है. इस तकनीक की मदद से किसान गेहूं, मक्का, सोयाबीन, चना, मूंग और उड़द की खेती कर सकते हैं. हालांकि, शुरुआती दौर में इस तकनीक से खेती करने में कुछ दिक्कतें आ सकती हैं. लेकिन एक बार अच्छे से ट्रेनिंग ले ली जाए तो उसके बाद इसकी मदद से खेती करना किसानों के लिए आसान होगा.

Published: 3 Jun, 2025 | 03:08 PM