बिहार सरकार ने जारी की सर्दी में पशु देखभाल की गाइडलाइन, दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए जरूरी सलाहें
दिसंबर की कड़ी ठंड में पशुओं को स्वस्थ रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है. इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने पशुपालकों के लिए खास सुझाव जारी किए हैं. ये सलाहें दूध देने वाले पशुओं की सेहत, गर्माहट और पोषण का ध्यान रखने में मदद करेंगी और किसानों की कमाई पर भी सकारात्मक असर डालेंगी.
Dairy Farming : दिसंबर का महीना आते ही ठंड अपने जोर पर आ जाती है. इस मौसम में इंसानों की तरह पशुओं को भी अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है. ऐसे समय में बिहार सरकार के डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग ने पशुपालकों (Bihar Govt Advisory) के लिए कुछ अहम सुझाव जारी किए हैं, ताकि सर्दियों में दूध देने वाले और छोटे-बड़े सभी पशु सुरक्षित रहें और उनकी सेहत पर कोई असर न पड़े. सरकारी विभाग की ये सलाहें रोजाना पशुपालन करने वाले किसानों के लिए काफी मददगार साबित हो सकती हैं.
पशुओं के लिए खनिज लवण मिश्रण बेहद जरूरी
विभाग ने साफ कहा है कि दिसंबर में पशुओं को खनिज लवण मिश्रण निर्धारित मात्रा में देना चाहिए. यह मिश्रण दाने या चारे में मिलाकर आसानी से खिलाया जा सकता है. इससे पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, दूध की गुणवत्ता सुधरती है और सर्दियों में कमजोरी की समस्या नहीं होती. कई बार ठंड में पशु कम खा लेते हैं, ऐसे में खनिज लवण शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है.
सर्दियों में दलहनी हरा चारा सबसे अच्छा विकल्प
सर्दियों के मौसम में बरसीम , ल्यूसर्न, जई जैसे दलहनी किस्म के हरे चारे भरपूर मात्रा में मिल जाते हैं. विभाग का कहना है कि दिसंबर महीने में पशुओं को यही रसदार चारा अधिक मात्रा में देना चाहिए. यह चारा न सिर्फ पचने में आसान होता है, बल्कि पशुओं को गर्माहट भी देता है. हरा चारा देने से दूध उत्पादन बढ़ता है, पशुओं का वजन संतुलित रहता है और सर्दी की वजह से होने वाली बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है.
पशुओं को गर्म और सूखा वातावरण देना जरूरी
ठंड के दिनों में पशु भी तेज हवा और नमी से जल्दी बीमार पड़ जाते हैं. इसलिए विभाग की सलाह है कि पशुओं को ऐसी जगह रखें जहां हवा सीधी न लगे और फर्श पर नमी न हो. रात में विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए कि गोशाला में सूखी बिछावन हो. यदि संभव हो तो बोरे या सूखी घास का इस्तेमाल करें. इससे पशु आराम से बैठ पाते हैं और ठंड से बचाव होता है.
पर्याप्त पानी और हल्की धूप भी है जरूरी
सर्दियों में पानी कम पिया जाता है, लेकिन विभाग ने चेतावनी दी है कि पशुओं को गुनगुना या हल्का गर्म पानी पिलाना चाहिए, ताकि पाचन सही रहे. इसके साथ ही, रोज कुछ समय पशुओं को हल्की धूप में रखना चाहिए. इससे शरीर को प्राकृतिक गर्मी मिलती है और विटामिन-डी की कमी पूरी होती है. धूप में रहने से पशुओं का शरीर ठंड के असर से भी बचा रहता है. बिहार सरकार का डेयरी एवं पशुपालन विभाग हर साल दिसंबर में किसान-पशुपालकों को यह सलाह जारी करता है, ताकि पशुओं की सेहत बेहतर रहे और दूध उत्पादन पर कोई असर न पड़े. इस बार भी जारी की गई ये सरल और उपयोगी सलाहें किसानों को सर्दियों में बेहतर ढंग से पशुपालन करने में मदद देंगी और उनकी कमाई पर भी सकारात्मक असर डालेंगी.