शीत लहर में पशुओं की सेहत कैसे रखें सुरक्षित? पशुपालन विभाग ने बताए आसान उपाय

Cattle Care Advisory: सर्दी और शीत लहर में पशुओं की सेहत पर बड़ा असर पड़ता है. समय पर देखभाल न हो तो बीमारी और दूध उत्पादन में गिरावट तय है. विभाग ने पशुशाला, खुराक, टीकाकरण और ठंड से बचाव को लेकर आसान दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिन्हें अपनाकर पशुपालक नुकसान से बच सकते हैं.

नोएडा | Published: 30 Dec, 2025 | 10:53 AM

Cold Wave Animal Care : सर्दी का मौसम इंसानों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी बड़ी चुनौती लेकर आता है. ठंडी हवा, कोहरा और शीत लहर का सीधा असर दुधारू पशुओं, बकरियों और मुर्गियों की सेहत पर पड़ता है. अगर समय पर सही देखभाल न की जाए, तो पशु बीमार हो सकते हैं, दूध उत्पादन घट सकता है और पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ता है. इसी को देखते हुए बिहार डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग ने शीत लहर के दौरान पशुओं की सुरक्षा के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं. विभाग के अनुसार, थोड़ी सी सावधानी और सही इंतजाम से पशुधन को ठंड के खतरे से आसानी से बचाया जा सकता है.

शीत लहर से पहले तैयारी क्यों जरूरी

बिहार पशु संसाधन विभाग शीत लहर अचानक तेज हो जाती है और इसका सबसे ज्यादा असर छोटे बछड़ों, कमजोर और गर्भवती पशुओं  पर पड़ता है. इसलिए जरूरी है कि पशुपालक पहले से ही स्थानीय मौसम पूर्वानुमान की जानकारी रखें. ठंड बढ़ने से पहले पशुशाला को ढंकने, बिछावन की व्यवस्था करने और गर्मी के इंतजाम कर लेने चाहिए. समय रहते तैयारी करने से पशु ठंड से सुरक्षित रहते हैं और बीमारियों का खतरा काफी कम हो जाता है.

पशुशाला में कैसे करें ठंड से बचाव

पशुपालन विभाग के अनुसार, पशुशाला को चारों तरफ  से ढंकना बेहद जरूरी है, खासकर रात के समय. सीधे ठंडी हवा लगने से पशुओं को बचाना चाहिए. फर्श पर सूखा पुआल बिछाने से जमीन की ठंड कम होती है. शीतदंश यानी फ्रॉस्ट बाइट से बचाव के लिए पर्याप्त रोशनी और जरूरत के अनुसार गर्मी देने वाले उपकरणों का इंतजाम पहले से कर लेना चाहिए. पशुओं को हमेशा सूखे और धुआं-रहित स्थान पर रखें, ताकि सांस से जुड़ी बीमारियों का खतरा न बढ़े.

बीमारी से बचाव और टीकाकरण पर जोर

सर्दियों में रोगों का खतरा बढ़ जाता है. विभाग के मुताबिक, जाड़े से पहले पशुओं को कीड़ा मारने वाली दवा जरूर देनी चाहिए. इसके साथ ही खुरपका-मुंहपका, पीपीआर और इंटेरोटॉक्सिमिया जैसी बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण  कराना बहुत जरूरी है. बाहरी परजीवियों से बचाव के लिए पशुशाला में नारगुण्डी और लेमन ग्रास की पत्तियां टांगनी चाहिए. नीम तेल युक्त कीटाणुनाशक का इस्तेमाल करने से भी काफी फायदा मिलता है.

सर्दियों में खुराक और पानी का सही तरीका

ठंड के मौसम में पशुओं की खुराक  का खास ध्यान रखना चाहिए. विभाग के अनुसार, पशुओं को संतुलित आहार के साथ नमक और इलेक्ट्रोलाइट युक्त पूरक आहार देना चाहिए. खल्ली और गुड़ की थोड़ी अतिरिक्त मात्रा देने से शरीर में गर्मी बनी रहती है. दिन में तीन-चार बार स्वच्छ नाद में हल्का गर्म पानी पिलाना चाहिए. ठंडा भोजन और ठंडा पानी देने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे पशु जल्दी बीमार पड़ सकते हैं.

क्या न करें, ये गलतियां पड़ सकती हैं भारी

विभाग ने कुछ जरूरी सावधानियां भी बताई हैं. शीत ऋतु में पशुओं को खुले में नहीं छोड़ना चाहिए. नमी और धुएं वाले स्थान पर पशु या मुर्गियों को रखने से निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी का खतरा  बढ़ जाता है. बीमार पशुओं का इलाज कभी भी फर्जी या झोलाछाप चिकित्सकों से नहीं कराना चाहिए. पशु शवों का निस्तारण वैज्ञानिक तरीके से और आबादी व जल स्रोतों से दूर करना जरूरी है. आग के स्रोत पशुशाला से दूरी पर रखें और अग्नि सुरक्षा के सभी नियमों का पालन करें.

सही देखभाल से होगा फायदा

डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग के अनुसार, अगर पशुपालक इन आसान उपायों को अपनाएं, तो शीत लहर के दौरान भी पशु स्वस्थ रहेंगे. इससे दूध उत्पादन बना रहेगा, बीमारियों पर खर्च  कम होगा और पशुपालकों की आमदनी पर भी असर नहीं पड़ेगा. ठंड से बचाव की ये छोटी-छोटी सावधानियां पशुधन के साथ-साथ पशुपालकों के जीवन में भी गुणात्मक सुधार ला सकती हैं.

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