गर्मी ने जहां इंसानों का जीना मुश्किल कर दिया है, वहीं इसका असर अब मवेशियों पर भी साफ नजर आ रहा है. जैसे-जैसे तापमान 45 डिग्री के पार पहुंच रहा है, वैसे-वैसे गाय और भैंसों का दूध उत्पादन घटता जा रहा है. इससे किसानों की आमदनी पर असर पड़ रहा है. लेकिन कुछ पुराने देसी नुस्खे ऐसे हैं, जो इस मुश्किल घड़ी में पशुपालकों के लिए राहत बन सकते हैं और दूध उत्पादन को फिर से बढ़ा सकते हैं.
गर्मी में पशुओं के लिए वरदान
पशु चिकित्सकों और अनुभवी किसानों के मुताबिक, सरसों के तेल और आटे से बनी एक खास गोली और लोबिया घास से पशुओं की गर्मी में देखभाल न सिर्फ आसान होती है, बल्कि उनकी दूध देने की क्षमता में भी इजाफा होता होता है. इस नुस्खे को तैयार करना बेहद आसान है. इस देसी उपाय को तैयार करने के लिए लगभग 300 से 400 ग्राम तक सरसों का तेल लें और उसमें करीब 200 से 300 ग्राम गेहूं का आटा मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें. इन्हें शाम के समय, जब मवेशी चारा खा और पानी पी चुके हों, तब खिलाएं. ध्यान रखें, गोली देने के बाद उन्हें पानी न पिलाएं, वरना असर कम हो सकता है.
फाइबर युक्त आहार दें
दूसरा कारगर तरीका है लोबिया घास. इसमें प्रोटीन और फाइबर भरपूर होते हैं, जो गर्मियों में पशुओं को ऊर्जा देते हैं. यह घास पाचन सुधारती है, जिससे मवेशी चारा ठीक से खाते हैं और सुस्ती दूर होती है. इसका नतीजा सीधे दूध की मात्रा और गुणवत्ता में दिखता है.
देसी औषधीय मिश्रण है कारगर
गर्मी में गाय-भैंसों का दूध कम न हो, इसके लिए एक देसी औषधीय मिश्रण कारगर हो सकता है. गेहूं का दलिया, गुड़ शरबत, जीरा, मैथी, अजवाइन और कच्चा नारियल मिलाकर बनाया गया मिश्रण गाय के बयाने के तीन दिन बाद तक दिया जाए तो दूध उत्पादन स्थिर रहता है. साथ ही, पशुओं को खुला छोड़ना और ठंडे पानी से नहलाना भी जरूरी है.
कम लागत में असरदार उपाय
सरसों का तेल और लोबिया घास दोनों ही स्थानीय बाजारों में आसानी से मिल जाते हैं. इनका दाम भी ज्यादा नहीं होता, इसलिए ये उपाय कम खर्च में बड़ी राहत देने वाले हैं. ऐसे देसी नुस्खे न सिर्फ पारंपरिक ज्ञान को जीवित रखते हैं, बल्कि छोटे किसानों के लिए आज के समय में सच्चे सहारे भी साबित हो रहे हैं.