Dairy Farming : गांवों में जब भी गाय या भैंस बछड़ा जनती है, तो सबसे पहले किसान की नजर इस बात पर होती है कि बछड़े को खीस (Colostrum) मिल जाए. यह खीस बछड़े की पहली दवा और पहला टीका दोनों होती है. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि गाय बीमार हो जाती है, दूध नहीं उतरता या खीस बन ही नहीं पाती. ऐसे में किसान घबरा जाते हैं. अब घबराने की जरूरत नहीं, क्योंकि एक सरल घरेलू उपाय बछड़े के जीवन की रक्षा कर सकता है. आइए जानें वो असरदार घरेलू मिश्रण, जो खीस का बेहतरीन विकल्प बन सकता है.
खीस क्यों है जरूरी?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बछड़े के जन्म के बाद पहले दो घंटे सबसे अहम होते हैं. इसी समय अगर उसे खीस मिल जाए तो उसकी इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो जाती है. खीस में मौजूद इम्युनोग्लोबुलिन और विटामिन्स बछड़े को बीमारियों से बचाते हैं. यह न केवल उसके शरीर की ग्रोथ बढ़ाते हैं, बल्कि मौसम के बदलाव से होने वाले संक्रमण से भी बचाते हैं. अगर किसी वजह से बछड़े को खीस नहीं मिलती, तो उसका शरीर कमजोर पड़ सकता है और रोगों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है.
जब खीस न मिले, तो यह घरेलू मिश्रण बनाएं
अगर गाय या भैंस की तबीयत ठीक न हो या खीस पर्याप्त मात्रा में न बने, तो किसान घर पर ही एक पौष्टिक मिश्रण तैयार कर सकते हैं. यह बछड़े के लिए जीवनरक्षक पेय साबित होता है. इस मिश्रण को बनाने की विधि:-
- 300 मिलीलीटर गुनगुना पानी
- 600 मिली दूध
- एक अंडा (अच्छी क्वालिटी का)
- आधा चम्मच अरंडी का तेल
- एक चम्मच मछली के लीवर का तेल
- 80 मिलीग्राम ओरियोमाइसिन पाउडर
- इन सभी चीजों को अच्छे से मिलाकर हल्का गुनगुना रहने पर बछड़े को पिलाएं. यह मिश्रण न केवल इम्यूनिटी बढ़ाता है, बल्कि पाचन और सांस की दिक्कत जैसी शुरुआती समस्याओं से भी बचाव करता है.
कितनी मात्रा और कब दें यह पहली खुराक
पशुपालन विशेषज्ञों के अनुसार, नवजात बछड़े का वजन लगभग 30 किलो होता है. ऐसे में सुबह और शाम लगभग 1.5-1.5 किलो खीस या उसके विकल्प के रूप में यह मिश्रण देना सबसे उचित रहता है. पहली बार यह मिश्रण जन्म के 2 घंटे के भीतर देना चाहिए, ताकि बछड़े की रोग प्रतिरोधक शक्ति तेजी से विकसित हो सके. अगर यह समय निकल जाए, तो इसका असर कम हो जाता है. इसलिए समय पर खुराक देना बेहद जरूरी है.
सिर्फ खुराक नहीं, देखभाल भी जरूरी
बछड़े की सेहत केवल उसके खाने से नहीं, बल्कि उसके आसपास के माहौल से भी जुड़ी होती है. जन्म के तुरंत बाद उसे साफ, सूखी और गर्म जगह पर रखें. अगर सर्दी का मौसम है, तो बिछावन में सूखा भूसा या बोरी डालें, ताकि ठंड न लगे. अगर बछड़े को सांस लेने में तकलीफ हो, तो तुरंत पशु चिकित्सक को बुलाएं. कई बार मुंह में जमी झिल्ली या ठंडा माहौल उसे सांस लेने में कठिनाई पैदा कर देता है.
छोटी-छोटी सावधानियां, बड़ा फायदा
- बछड़े को जन्म के बाद साफ कपड़े से पोछें.
- नाभि की जगह पर आयोडीन सॉल्यूशन लगाएं ताकि संक्रमण न हो.
- दूध या मिश्रण हमेशा हल्का गुनगुना ही दें.
- दूध देने के बाद कुछ देर तक बछड़े को आराम करने दें.
- हर खुराक के बाद साफ पानी की उपलब्धता जरूरी है.
अगर किसान इन सरल बातों का ध्यान रखें तो बछड़ा मजबूत और स्वस्थ पशु बनकर बड़ा होता है, जिससे भविष्य में दूध उत्पादन भी बेहतर होता है.