गर्मी-बरसात में दूध देने वाले पशुओं को सेहतमंद रखने का देसी तरीका, अपनाएं ये 5 उपाय

गर्मी और उमस के मौसम में दुधारू पशुओं की देखभाल बेहद जरूरी है. ठंडी छांव, साफ पानी, संतुलित आहार और स्वच्छता जैसे आसान उपाय अपनाकर दूध उत्पादन घटने से रोका जा सकता है और पशु स्वस्थ रखे जा सकते हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 25 Aug, 2025 | 03:11 PM

मानसून का मौसम अपने साथ हरियाली और ठंडक तो लाता है, लेकिन इसके साथ उमस भी बढ़ जाती है, जो दुधारू पशुओं के लिए परेशानी का कारण बन जाती है. खासकर गाय और भैंस जैसे पशुओं पर इस मौसम का सीधा असर पड़ता है. उमस और गर्मी से उनकी सेहत बिगड़ती है, दूध का उत्पादन घटता है और रोगों का खतरा बढ़ जाता है. विशेषज्ञों की मानें तो यदि पशुपालक कुछ आसान उपाय अपनाएं तो इस मुश्किल मौसम में भी पशुओं को स्वस्थ और उत्पादक बनाए रखा जा सकता है.

छांव और खुली हवा वाली जगह हो जरूरी

बारिश के बाद अक्सर धूप तेज होती है और तापमान 35 से 40 डिग्री तक पहुंच जाता है. इस मौसम में पशुओं को खुले और हवादार शेड में रखना बहुत जरूरी है. जहां पशु रहते हैं, वहां अच्छी हवा का प्रवाह हो और धूप सीधे न पड़े. यदि छत टिन की है तो टाट या फूस डालना लाभकारी रहेगा. गर्मी से राहत के लिए शेड में पंखे या कूलर का भी इंतजाम किया जा सकता है, जिससे उमस का असर कम हो सके.

नियमित नहलाना और शेड में ठंडक बनाए रखना

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भैंस जैसे पशुओं को खासतौर पर ठंडक की जरूरत होती है. ऐसे में उन्हें दिन में एक बार, विशेषकर शाम के समय नहलाना चाहिए. साथ ही, उनके शेड या बाड़े पर टाट या बोरी लगाकर उस पर दिन में दो-तीन बार पानी का छिड़काव किया जाए, तो वातावरण ठंडा बना रहता है. यह तरीका हीट स्ट्रेस से बचाव में मदद करता है, जिससे पशु शांत और स्वस्थ रहते हैं.

संतुलित आहार और साफ पानी का ध्यान रखें

गर्मी में पशु अक्सर कम चारा खाते हैं, जिससे दूध की मात्रा और गुणवत्ता पर असर पड़ता है. इसलिए इस मौसम में उन्हें संतुलित आहार देना बहुत जरूरी है. सूखा चारा, हरा चारा, मिनरल मिक्सचर और नमक का संतुलन बनाए रखें. इसके अलावा, जानवरों को साफ और ताजा पानी दिन में दो से तीन बार जरूर उपलब्ध कराएं. देसी गुड़ का पानी देना भी लाभदायक होता है, जो उन्हें ऊर्जा देता है और शरीर को ठंडा रखता है.

साफ-सफाई और कीट नियंत्रण पर दें विशेष ध्यान

उमस और बारिश के मौसम में कीड़े-मकौड़े और बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं. ऐसे में रोजाना शेड की सफाई जरूरी है. जहां नमी रहती है, वहां फर्श पर फिसलन का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए वहां चूना छिड़कना फायदेमंद होता है. फर्श को गीला न रहने दें और समय-समय पर कीटाणुनाशक दवाइयों का छिड़काव करें, ताकि बीमारियों से बचाव हो सके.

पाचन संबंधी समस्याओं से बचाव जरूरी

गर्मी और उमस में पशुओं का पाचन तंत्र भी कमजोर हो सकता है. इस समय बासी, सड़ा या अधिक देर तक रखा हुआ चारा न खिलाएं. केवल ताजा और साफ चारा ही दें. इसके साथ ही हरा चारा और मिनरल मिक्सचर देने से पशु का पाचन बेहतर होता है और वह अधिक सक्रिय और स्वस्थ रहता है. यह न केवल उनकी सेहत के लिए अच्छा है बल्कि दूध उत्पादन को भी प्रभावित करता है.

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Published: 25 Aug, 2025 | 03:03 PM

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