3500 लीटर दूध देने वाली ये भैंसें किसानों की किस्मत बदल रहीं, कम खर्च में करा रही हैं लाखों की कमाई

देश के कई इलाकों में ऐसी भैंसों की नस्लें पाई जाती हैं जो किसानों को सालभर में हजारों लीटर दूध और लाखों की कमाई दिला रही हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, वैज्ञानिक तरीके से पालन करने पर यह कारोबार किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बना रहा है.

Kisan India
नोएडा | Published: 29 Oct, 2025 | 06:45 AM

Buffalo Farming : क्या आप जानते हैं कि अब भैंसें भी किसानों को लखपति बना रही हैं? जी हां, कुछ खास नस्लों की भैंसें इतनी ज्यादा दूध देती हैं कि किसान सालभर में लाखों रुपये तक कमा रहे हैं. इन भैंसों की खासियत ये है कि इन्हें संभालना आसान है, खर्च कम है और मुनाफा दोगुना. यही वजह है कि अब भैंस पालन खेती के साथ किसानों की सबसे भरोसेमंद आमदनी का जरिया बन गया है.

किसानों का नया दूध व्यवसाय

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आज के समय में जब खेती का मुनाफा  घटता जा रहा है, तब पशुपालन किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. खास तौर पर भैंस पालन से किसानों की आमदनी में बड़ा इज़ाफ़ा हुआ है. नई नस्लों की भैंसें अब पहले से कहीं ज्यादा दूध दे रही हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, देश के कई इलाकों में भैंस पालन किसानों की जीवनरेखा बन चुका है. कुछ नस्लें तो हर साल हजारों लीटर दूध देती हैं, जिससे किसान महीने भर में उतनी आमदनी कर लेते हैं जितनी कभी फसल से नहीं होती थी.

3500 लीटर दूध- ये हैं कमाल की नस्लें

मिल्क प्रोडक्शन  के लिहाज से दो नस्लें इन दिनों चर्चा में हैं- नीली रवि और मुरहा. इन भैंसों को कुबेर का खजाना कहा जाने लगा है क्योंकि ये 3000 से 3500 लीटर तक सालाना दूध देती हैं. इन नस्लों की एक और खासियत है कि ये हर 12 से 15 महीने में बछड़ा देती हैं, जिससे दूध उत्पादन लगातार बना रहता है. इनके दूध में फैट की मात्रा 6.5 फीसदी से 8 फीसदी तक होती है, जो बाजार में इन्हें ऊंचे दाम दिलाती है. इन नस्लों का शरीर मजबूत होता है और ये गर्मी-सर्दी दोनों मौसम में खुद को ढाल सकती हैं. कम बीमार पड़ने की वजह से किसानों को दवा और इलाज पर भी कम खर्च करना पड़ता है.

पालन में आसानी, खर्च में बचत

भैंस पालन  के लिए न तो बहुत बड़ी जमीन चाहिए और न ही भारी पूंजी. बस छांवदार और हवादार जगह पर इन्हें रखना जरूरी है ताकि गर्मी में इन्हें परेशानी न हो. इनके लिए हरा चारा, चोकर, दाना और मिनरल मिक्सचर सबसे अच्छा आहार माना जाता है. अगर साफ पानी और संतुलित भोजन दिया जाए, तो दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों बढ़ जाती हैं. भैंसों को ठंडा वातावरण और रोज स्नान की सुविधा देना भी जरूरी है ताकि वे स्वस्थ रहें और लंबे समय तक दूध देती रहें.

देखभाल का मंत्र

भैंस पालन में सबसे जरूरी बात है सफाई और टीकाकरण . अगर बाड़ा साफ और सूखा रखा जाए, तो संक्रमण का खतरा बहुत कम रहता है. पशुओं को समय-समय पर वैक्सीन दिलवाना भी जरूरी है ताकि वे किसी संक्रामक रोग से सुरक्षित रहें. इसके अलावा, दूध दुहने का समय निश्चित रखना भी बहुत मायने रखता है. सुबह और शाम एक ही समय पर दूध निकालने से मात्रा और गुणवत्ता दोनों में सुधार होता है.

मुनाफे का आंकड़ा- किसान बन रहे हैं लखपति

अगर एक भैंस रोजाना 10 लीटर दूध देती है, तो सालभर में लगभग 3,500 लीटर दूध तैयार हो सकता है. इतने दूध से किसान को 80 हजार से 1 लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती है. अगर कोई किसान 3 से 4 भैंसों का पालन करे, तो उसकी सालाना आमदनी 3 से 4 लाख रुपये तक पहुंच सकती है. यही कारण है कि किसान अब इन नस्लों को कुबेर का खजाना कहने लगे हैं. इन नस्लों के दूध की मांग डेयरी कंपनियों  में भी बहुत अधिक है, जिससे बाजार में ऊंचे दाम मिलते हैं.

आत्मनिर्भरता की राह पर किसान

भैंस पालन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिली है. आज कई किसान न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान वैज्ञानिक तरीके से भैंस पालन करें और सरकारी पशुपालन योजनाओं का लाभ उठाएं, तो दूध उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर बन सकता है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 29 Oct, 2025 | 06:45 AM

अमरूद के उत्पादन में सबसे आगे कौन सा प्रदेश है?

Side Banner

अमरूद के उत्पादन में सबसे आगे कौन सा प्रदेश है?