मुर्रा भैंस खरीदने पर सरकार दे रही 50 फीसदी सब्सिडी, गांवों में डेयरी कारोबार बढ़ाने का सुनहरा मौका
मध्य प्रदेश सरकार की डेरी प्लस योजना, ग्रामीण परिवारों के लिए बड़ी सहायता बन गई है. मुर्रा भैंस पर 50 फीसदी सब्सिडी मिलने से लोगों को कम लागत में डेरी कारोबार शुरू करने का मौका मिल रहा है. दो भैंसों से रोजाना अच्छा दूध उत्पादन होता है, जिससे शुरुआत से ही स्थिर कमाई संभव हो जाती है.
Madhya Pradesh news : गांवों में खेती-किसानी के बाद अगर कोई काम सबसे ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है, तो वह है-पशुपालन. रोज दूध बेचना, उससे रोजगार पाना और घर की आय बढ़ाना.. यही वजह है कि आज ग्रामीण परिवार तेजी से डेरी व्यवसाय की ओर बढ़ रहे हैं. इसी बीच मध्य प्रदेश सरकार की एक योजना किसानों के लिए बड़ा सहारा बन गई है. राज्य में अब मुर्रा भैंस खरीदने पर सरकार 50 फीसदी तक सब्सिडी दे रही है. यानी आधा पैसा सरकार देगी और आधा लाभार्थी को देना होगा. यह मौका खास है क्योंकि मुर्रा देश की सबसे ज्यादा दूध देने वाली नस्लों में गिनी जाती है. आइए जानते हैं कि यह योजना कैसे काम करती है, कौन आवेदन कर सकता है और इससे किसान को क्या फायदा मिलेगा.
मुर्रा भैंस खरीदने पर आधा पैसा सरकार देगी
मध्य प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री डेरी प्लस योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के उद्देश्य से चलाई जा रही है. इस योजना के तहत मुर्रा भैंस खरीदने पर सरकार 50 फीसदी सब्सिडी देती है. योजना में लाभार्थी को दो मुर्रा भैंसें दी जाती हैं. इसके लिए सामान्य श्रेणी के आवेदकों को लगभग 1.47 लाख रुपये जमा करने होते हैं, जबकि SC/ST श्रेणी के आवेदकों को लगभग 73,700 रुपये ही देने होते हैं. बाकी पूरी राशि सरकार सब्सिडी के रूप में वहन करती है. मुर्रा भैंस की बाजार में कीमत लगभग 1 लाख रुपये तक होती है. इतनी महंगी नस्ल को आधी कीमत में पाने का मौका किसानों के लिए काफी फायदेमंद है.
शुरुआत से ही दूध: एक गर्भवती, दूसरी बछड़े वाली भैंस मिलेगी
योजना की खास बात यह है कि लाभार्थी को ऐसी दो भैंसें दी जाती हैं जिनमें से एक 5 महीने की गर्भवती होती है, और दूसरी एक महीने के बच्चे वाली. इसका फायदा यह है कि किसान को शुरुआत से ही दूध मिलता रहता है. दूसरी ओर, गर्भवती भैंस आने वाले समय में और उत्पादन बढ़ाती है. सरकार इन दोनों भैंसों के लिए 6 महीने का चारा भी उपलब्ध कराती है, जिससे शुरुआत के खर्चे भी कम हो जाते हैं.
- पशुपालकों के लिए रोजगार का नया मौका, केवल दूध ही नहीं ऊंट के आंसुओं से भी होगी कमाई
- बरसात में खतरनाक बीमारी का कहर, नहीं कराया टीकाकरण तो खत्म हो जाएगा सब
- पशुपालक इन दवाओं का ना करें इस्तेमाल, नहीं तो देना पड़ सकता है भारी जुर्माना
- 2000 रुपये किलो बिकती है यह मछली, तालाब में करें पालन और पाएं भारी लाभ
दो भैंसें हर दिन देंगी 20 लीटर दूध
मुर्रा भैंस दूध उत्पादन में पूरे देश में मशहूर है. योजना में मिलने वाली दो मुर्रा भैंसें मिलकर 20 लीटर दूध प्रतिदिन दे सकती हैं. अगर दूध की कीमत 50 रुपये लीटर मानें, तो किसान रोज लगभग 1000 रुपये और महीने भर में 30,000 रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. यही वजह है कि यह योजना सिर्फ किसानों ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी कमाई का बड़ा साधन बन सकती है.
कोई भी ले सकता है लाभ-किसान और आम नागरिक दोनों
- सरकार ने इस योजना को केवल किसान परिवारों तक सीमित नहीं रखा है.
- ग्रामीण या शहरी-कोई भी नागरिक इस योजना के लिए आवेदन कर सकता है.
- इसके लिए नजदीकी पशु चिकित्सा कार्यालय में आवेदन फॉर्म भरना होता है.
- दस्तावेजों की जांच के बाद चयनित लाभार्थी को दो भैंसें प्रदान की जाती हैं.
सरकार का उद्देश्य है कि ग्रामीण युवाओं को रोजगार मिले और दूध उत्पादन बढ़ाकर प्रदेश को डेरी हब बनाया जाए.
योजना से बढ़ रही ग्रामीण अर्थव्यवस्था और युवाओं की आय
पिछले कुछ वर्षों में दूध की मांग लगातार बढ़ी है. ऐसे में डेरी व्यवसाय किसानों के लिए स्थायी आय का जरिया बनता जा रहा है. मुर्रा भैंस जैसे उच्च उत्पादन वाली नस्ल मिलने से किसान न सिर्फ रोज कमाई कर पाएंगे, बल्कि भविष्य में और अधिक भैंसें खरीदकर बड़े स्तर पर डेरी यूनिट भी शुरू कर सकते हैं. सरकार का दावा है कि यह योजना ग्रामीण महिलाओं, युवाओं और छोटे किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभा रही है. कम लागत और लगातार मिलने वाली आय इस योजना को बेहद सफल बना रही है.