Farmers Protest: पंजाब के किसानों का गुस्सा अब नियंत्रण से बाहर होता दिख रहा है. राज्य के कई जिलों में किसानों, खेतिहर मजदूरों और महिलाओं ने सड़कों पर उतरकर बाढ़ मुआवजा और पराली जलाने पर लगाए गए जुर्माने के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा तय किए गए जुर्माने और मुआवजे में बहुत बड़ा अंतर है, जो किसानों के साथ अन्याय है.
बाढ़ से हुए नुकसान और मांगें
हाल ही में आई बाढ़ से पंजाब में लाखों किसानों की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. धान, गेहूं, कपास और अन्य फसलें पानी में डूब गईं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ. पंजाब में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने राज्य के 23 जिलों में प्रदर्शन कर किसानों का गुस्सा जताया. किसान संगठन मांग कर रहे हैं कि बाढ़ से प्रभावित फसलों के लिए प्रति एकड़ 70,000 रुपये मुआवजा दिया जाए. साथ ही खेतिहर मजदूरों के लिए मुआवजे का 10 प्रतिशत, पशुधन और पोल्ट्री का पूरा मुआवजा, क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत और गेहूं की बुवाई के लिए मुफ्त डीजल, बीज और खाद की व्यवस्था की जाए.
किसान संगठन यह भी चाहते हैं कि बाढ़ राहत के लिए लागू 5 एकड़ की सीमा हटाई जाए और बांधों से छोड़े गए पानी की न्यायिक जांच कराई जाए. भविष्य में बाढ़ रोकने के लिए स्थायी तटबंध (Embankments) बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है.
पराली जलाने पर लगाया जुर्माना
सरकार ने पराली जलाने पर 30,000 रुपये तक का जुर्माना तय किया है, जबकि बाढ़ मुआवजा इससे भी कम है. किसानों का कहना है कि या तो सरकार पराली प्रबंधन के लिए पर्याप्त इंतजाम करे या प्रति क्विंटल 200 रुपये या प्रति एकड़ 6,000 रुपये की सहायता राशि दें. इसके अलावा, किसानों पर दर्ज एफआईआर और जुर्माने भी रद्द किए जाएं. उनका तर्क है कि असली प्रदूषण कॉर्पोरेट सेक्टर से आता है, लेकिन किसानों को अनुचित रूप से निशाना बनाया जा रहा है.
अन्य मांगें और किसानों की स्थिति
किसान संगठन गन्ने के बकाया भुगतान, कपास और बासमती चावल का उचित मूल्य, धान की खरीद में बिना कटौती भुगतान की भी मांग कर रहे हैं. राज्य में बाढ़ से करीब 60 लोगों की जान गई और 3 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए. लगभग 4 लाख एकड़ कृषि भूमि को नुकसान हुआ.
केंद्र सरकार ने प्रभावित किसानों के लिए 1,600 करोड़ रुपये की राहत राशि घोषित की है. प्रधानमंत्री ने भी प्रभावित इलाकों का दौरा किया और पीएम किसान सम्मान निधि की अग्रिम किस्त जारी की. बावजूद इसके, किसानों का कहना है कि यह राहत पर्याप्त नहीं है और उन्हें वास्तविक नुकसान की भरपाई की आवश्यकता है.
सड़क पर नाराजगी का इजहार
राज्य के कई जिलों में किसानों ने प्रदर्शन के दौरान नारेबाजी की. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा. कई जगह किसानों ने तिरपाल डालकर और पराली जलाकर विरोध जताया. पंजाब में इस समय किसानों की नाराजगी और दबाव दोनों बढ़ रहे हैं, जिससे सरकार के सामने दबाव बढ़ गया है.