Karnataka Crop Damage: कर्नाटक के उत्तरी हिस्सों में लगातार भारी बारिश और बाढ़ ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. राज्य में लगभग 9.6 लाख हेक्टेयर फसलें प्रभावित हुई हैं. खड़ी हुई खरीफ फसल क्षेत्र लगभग 8.88 लाख हेक्टेयर और बागवानी फसलें 71,626 हेक्टेयर प्रभावित हुई हैं. किसानों का कहना है कि इस साल उनकी फसलों की लगभग 90 फीसदी पैदावार नष्ट हो गई है, जिससे क्षेत्र में कुल फसल नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है.
प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वे किया
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को बाढ़ प्रभावित जिलों, जैसे कलबुर्गी और यदगिरी का हवाई सर्वे किया. उन्होंने प्रारंभिक सर्वेक्षण के अनुसार किसानों को तुरंत मुआवजा देने की तैयारी का ऐलान किया.
मुख्यमंत्री ने बताया कि सूखा प्रभावित किसानों को NDRF के दिशानिर्देशों के अनुसार 8,500 रुपये प्रति हेक्टेयर और राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त 8,500 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा मिलेगा. वहीं, सिंचित खेतों के किसानों को 25,500 रुपये प्रति हेक्टेयर का राहत पैकेज मिलेगा. दिर्घकालिक फसलें उगाने वाले किसानों को 22,500 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया जाएगा, साथ ही राज्य की ओर से 8,500 रुपये अतिरिक्त राहत मिलेगी.
उत्तर कर्नाटक में औसत से अधिक बारिश
इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने पूरे देश में 8 फीसदी अतिरिक्त वर्षा दर्ज की, लेकिन उत्तर कर्नाटक के जिलों में बारिश औसत से कहीं अधिक रही.
विजयपुरा: 79 फीसदी अतिरिक्त बारिश
बागलकोट: 60 फीसदी
बीदर: 55 फीसदी
कलबुर्गी: 33 फीसदी
यदगिरी और रायचुर: 41 फीसदी
इससे खरीफ की फसलें और विशेषकर तूर, उड़द, मूंग, सोयाबीन और कपास की पैदावार बुरी तरह प्रभावित हुई है.
किसानों की चिंता और मांग
कर्नाटक रेड ग्राम ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बसवराज इंगिन ने बताया कि क्षेत्र में अधिकांश खरीफ फसलें बाढ़ और भारी बारिश से बर्बाद हो गई हैं. किसानों का कहना है कि मॉनसून का देर से हटना बची हुई फसलों के लिए खतरा पैदा कर सकता है.
इंगिन ने जोर देकर कहा कि किसानों को तुरंत मुआवजा दिया जाना चाहिए. उनका कहना है कि प्रत्येक एकड़ के लिए कम से कम 25,000 रुपये का राहत पैकेज तुरंत मिलना चाहिए. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर बारिश फिर से शुरू होती है तो तूर फसल में रोग फैलने का खतरा बढ़ सकता है.
उत्तर कर्नाटक के किसान इस समय भारी संकट का सामना कर रहे हैं. लगातार बारिश और बाढ़ ने उनकी मेहनत और साल भर की कमाई को बर्बाद कर दिया है. विशेषज्ञों और किसानों की मांग है कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर तुरंत मुआवजा और राहत कार्य शुरू करें, ताकि किसानों की जिंदगी और कृषि क्षेत्र को बचाया जा सके.