Rice Exports: भारत सरकार ने अब गैर-बासमती चावल के निर्यात के लिए अनिवार्य रजिस्ट्रेशन लागू कर दिया है. इसके साथ ही निर्यातकों को प्रति टन केवल 8 रुपये का नाममात्र शुल्क देना होगा. इस कदम का उद्देश्य भारतीय चावल को वैश्विक बाजार में “India Brand” के रूप में पहचान दिलाना है. कई बार विदेशी देशों में निर्यातित चावल स्थानीय ब्रांड के तहत बिक जाता है और अपनी भारतीय पहचान खो देता है.
सबसे पहले रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, गैर-बासमती चावल के निर्यात पर रजिस्ट्रेशन इसलिए जरूरी है ताकि APEDA (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) को पता हो कि कौन सा चावल किस देश में जा रहा है. इससे निर्यात की निगरानी बेहतर होगी और भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में मदद मिलेगी.
मुकेश जैन, अध्यक्ष, राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (CG) के अनुसार, सभी निर्यातक संघों ने इस कदम का समर्थन किया और 24 सितंबर 2025 से इसे लागू किया गया. उन्होंने कहा कि यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया और इससे निर्यातकों को फायदा होगा.
कैसे काम करेगा रजिस्ट्रेशन सिस्टम
निर्यातक अब ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे और रजिस्ट्रेशन शुल्क केवल 8 रुपये प्रति टन होगा. यह शुल्क एक “Rice Trade Development Fund” में जाएगा, जिसका उपयोग भारतीय चावल को वैश्विक बाजार में बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा. प्रेम गर्ग, अध्यक्ष, IREF ने कहा कि यह प्रणाली निर्यात के वास्तविक आंकड़ों पर नजर रखने में मदद करेगी और भारत के चावल व्यापार की विश्वसनीयता बढ़ाएगी.
फायदा निर्यातकों को
इस रजिस्ट्रेशन के जरिए किसी भी विवाद या डिफॉल्ट की स्थिति में निर्यातक और खरीदार दोनों रिकॉर्ड का उपयोग कर सकते हैं. APEDA की ओर से निर्यातकों के लिए जागरूकता सेमिनार भी आयोजित किए जाएंगे, ताकि सभी निर्यातक आसानी से नियमों का पालन कर सकें.
मुकेश जैन ने बताया कि हाल ही में 2,000 कंटेनरों के निर्यात में कुछ समस्याएं आई थीं, जिन्हें APEDA की मदद से सुलझाया गया. अब नए रजिस्ट्रेशन सिस्टम के जरिए ऐसे मुद्दों को जल्दी और सही दस्तावेजों के साथ हल किया जा सकेगा.
भारतीय चावल को फायदा
इस नए कदम से न सिर्फ निर्यातकों को सुविधा मिलेगी, बल्कि भारतीय चावल की पहचान और विश्वसनीयता भी बढ़ेगी. अब निर्यातकों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए अपने निर्यात की पूरी जानकारी APEDA के पास दर्ज करानी होगी, जिससे किसी भी विवाद या डिफॉल्ट की स्थिति में रिकॉर्ड का इस्तेमाल किया जा सकेगा. बेहतर निगरानी और सही डेटा के माध्यम से भारत अपने चावल को वैश्विक बाजार में मजबूत ब्रांड के रूप में स्थापित कर सकेगा.
इसके अलावा, इस रजिस्ट्रेशन शुल्क से बने “Rice Trade Development Fund” का उपयोग भारत के चावल का प्रचार-प्रसार, गुणवत्ता सुधार और नई बाजार संभावनाओं की खोज में किया जाएगा. इससे छोटे और बड़े सभी निर्यातकों को वैश्विक मानकों के अनुसार अपने उत्पादों को बेहतर तरीके से तैयार करने और बेचने में मदद मिलेगी. यह कदम भारतीय चावल के निर्यात को बढ़ाने, विश्वसनीयता मजबूत करने और किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक साबित होगा.