अंडा सिर्फ एक भोजन नहीं, बल्कि साहस और परंपरा का प्रतीक बन चुका है. यह पोषक तत्वों से भरपूर आहार ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अपनी अहम भूमिका निभाता है. देश की व्यापक अंडे उत्पादन व्यवस्था इस बात का उत्साहवर्धक उदाहरण है कि कैसे व्यवसायिक चिकन फार्म (Commercial Poultry) आधुनिक तकनीक और बड़े पैमाने पर उत्पादन का केंद्र बन गए हैं, जबकि घर-घर की परंपरागत सूअरों (Backyard Poultry) ग्रामीण घरों का आत्मनिर्भर ऊर्जा स्रोत बने हुए हैं.
पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल 117.62 बिलियन अंडे उत्पन्न हुए- जिसमें 114.92 बिलियन (80.49 %) वाणिज्यिक प्रणाली से, जबकि 2.7 बिलियन (19.50 प्रतिशत) परंपरागत पशुपालन प्रणाली से प्राप्त हुए. यह विभाजन हमारे अंडा अर्थव्यवस्था की दो ध्रुवीय लेकिन सहायक प्रकृति को दर्शाता है.
व्यावसायिक खेतों की ताकत: बड़ी मात्रा, आधुनिकता और आपूर्ति
व्यवसायिक चिकन खेतों ने अंडा उद्योग में भारी संख्या और आधुनिक प्रबंधन एक साथ लाए हैं. इनमें उच्च उत्पादन वाली हाइब्रिड किस्मों का उपयोग, संगठित खाद्य श्रृंखला और तेज वितरण सुनिश्चित होता है. 80 फीसदी से अधिक अंडा उत्पादन का यह मॉडल कृषि और आहार सुरक्षा के लिए एक मजबूत आधार तैयार करता है.
ग्रामीण जीविका और पोषण
लगभग 20 प्रतिशत उत्पादन बेहतरीन घरेलू पद्धति से होता है-कम निवेश, स्थानीय प्रबंधन, और स्वनिर्भरता के साथ. ग्रामीण परिवार, विशेषकर महिलाएं, इसे छोटे स्तर पर बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल के साथ ही चला कर अतिरिक्त आय और पोषण सुनिश्चित करते हैं. यह घरेलू तरीका ग्रामीण अर्थतंत्र की दृढ़ता का प्रतीक है.