मुर्गी को कब, कितना और क्या खिलाना है, जानें पोल्ट्री फार्मिंग का असली गणित

मुर्गियों से समय पर और संतुलित अंडा उत्पादन के लिए उन्हें तय मात्रा में, सही समय पर और मौसम के अनुसार दाना देना जरूरी है. वहीं फार्म का माहौल, रोशनी और शांति भी अंडा उत्पादन में अहम भूमिका निभाते हैं.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 13 May, 2025 | 05:24 PM

मुर्गी से अंडा निकालना सिर्फ दाना डालने भर का खेल नहीं है, यह पूरी तरह से एक वैज्ञानिक गणित है. पोल्ट्री फार्मिंग करने वाले किसान जानते हैं कि अगर रोजाना तय समय पर अंडा चाहिए तो मुर्गियों को तय मात्रा में, सही समय और सही पोषक तत्वों से भरपूर दाना देना जरूरी है. लेयर्ड मुर्गियों (जो सिर्फ अंडे देने के लिए होती हैं) को न तो ज्यादा खिलाया जा सकता है और नहीं कम. क्योंकि, इससे अंडे का आकार, वजन और उत्पादन चक्र गडबड़ा सकता है. इसके अलावा, लाइट, शोर, तापमान और फार्म का वातावरण, ये सारे फैक्टर मुर्गी के अंड़े देने के मूड को तय करते हैं. यानी कह सकते हैं कि मुर्गी को दाना देना एक रूटीन है और उस रूटीन से जरा भी चूक हुई तो एख दिन का अंड़ा हाथ से गया समझो.

अंडा देने वाली मुर्गी की डाइट सटीक होना जरूरी

ब्रायलर मुर्गियों (जो सिर्फ मांस के लिए होती हैं) को तेजी से वजन बढ़ाने के लिए प्रोटीन और ऊर्जा से भरपूर चारा दिया जाता है. ये मुर्गियां दिन में कई बार फीड करती हैं. लेकिन लेयर्ड मुर्गियों के मामले में हर चीज नापतौल कर होती है. आमतौर पर एक अंडा देने वाली मुर्गी को रोजाना 100 ग्राम के आसपास संतुलित फीड दिया जाता है. यह फीड कैल्शियम, फॉस्फोरस, प्रोटीन और जरूरी मिनरल्स से भरपूर होता है. एक्सपर्टों के मुताबिक ज्यादा दाना देने से मुर्गी मोटी हो जाती है और अंडा देना कम कर देती है, जबकि कम दाना देने पर अंडे छोटे हो जाते हैं या उत्पादन गिर जाता है.

मौसम के हिसाब से बदलती है भूख

एक्सपर्टों के अनुसार सर्दियों में मुर्गियां ज्यादा दाना खा लेती हैं, जो कि 100 से बढकर करीब 105 ग्राम तक हो जाता है. वहीं गर्मियों में उनकी भूख कम हो जाती है और 95 से 100 ग्राम फीड में ही वे संतुष्ट हो जाती हैं. एक बार में सारा दाना डालने की बजाय, इसे 2 से 3 हिस्सों में दिया जाता है ताकि पाचन बेहतर हो और शरीर में होने वाली वे सभी रासायनिक प्रक्रियाएं जो भोजन को ऊर्जा में बदलती हैं, स्थिर रहती हैं. कई पोल्ट्री फार्मों में रात के समय भी हल्का फीड डाला जाता है ताकि सुबह अंडा समय पर आए. अगर एक दिन भी फीडिंग में देरी हो गई तो 10 से 20 फीसदी तक मुर्गियां  अंडा देना बंद कर देती हैं.

शोर, जानवर या लाइट बिगाड़ सकता है रुटीन

मुर्गियों का व्यवहार अत्यंत संवेदनशील होता है. पोल्ट्री फार्म में हल्का सा शोर, कोई जानवर घुस आना या रात को लाइट बंद करना भूल जाना, ये सब चीजें उनके अंडा देने के रुटीन में बदलाव ला सकती हैं. इसलिए पोल्ट्री किसान के लिए जरूरी है कि वह हर पल सतर्क रहें. सही फीड, शांत वातावरण और सटीक रूटीन ही अंडा उत्पादन के लिए बेस्ट माना जाता है.

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Published: 13 May, 2025 | 05:24 PM

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