पंजाब के किसान सावधान.. मधुमक्खी और शहद दोनों पर मंडरा रहा अफ्रीकी कीट का खतरा

पंजाब में करीब 4,000 मधुमक्खी पालक सालाना 20,000 टन कच्चा शहद उत्पादन करते हैं, जिसकी कीमत 200 करोड़ रुपये से अधिक है. विशेषज्ञ बताते हैं कि इस कीट की वजह से शहद दूषित हो जाता है और इंसान के इस्तेमाल करने लायक नहीं रहता.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 8 Sep, 2025 | 10:28 AM

पंजाब में मधुमक्खी पालन अब एक गंभीर खतरे का सामना कर रहा है. अफ्रीकी मूल का स्मॉल हाइव बीटल (Small Hive Beetle) राज्य के कई इलाकों में देखा गया है, जिससे किसानों में चिंता बढ़ गई है. यह कीट केवल मधुमक्खियों और उनके अंडों को ही नहीं खाता, बल्कि उनके पराग और कच्चे शहद को भी नुकसान पहुंचाता है. इसका असर इतना गंभीर है कि पूरे मधुमक्खी झुंड नष्ट हो सकते हैं और शहद का उत्पादन कम हो सकता है.

क्या है खतरा और असर

हिन्दुस्तान टाईम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में करीब 4,000 मधुमक्खी पालक सालाना 20,000 टन कच्चा शहद उत्पादन करते हैं, जिसकी कीमत 200 करोड़ रुपये से अधिक है. विशेषज्ञ बताते हैं कि इस कीट की वजह से शहद दूषित हो जाता है और इंसान के इस्तेमाल करने लायक नहीं रहता. इसके अलावा, मधुमक्खियां सरसों, सूरजमुखी, कद्दू, बैंगन, खीरा और कई फलों के परागकण (pollination) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. अगर बड़े पैमाने पर झुंड नष्ट हो गए, तो खेती और फसल उत्पादन भी प्रभावित होगा.

कैसे फैला कीट

पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU) के अनुसार, लुधियाना जिले में पहली बार लगभग दस दिन पहले इसका पता चला. अब कई जिलों में इस कीट की मौजूदगी दर्ज की जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि कीट हवा में 5-6 किलोमीटर तक उड़ सकता है, इसलिए एक संक्रमित झुंड से आसपास के खेतों में फैल सकता है. इस कीट के खिलाफ कोई रासायनिक उपाय अभी उपलब्ध नहीं है.

सरकारी कदम और सतर्कता

PAU और राज्य बागवानी विभाग ने मधुमक्खी पालकों को चेतावनी दी है. मधुमक्खी पालकों को अन्य राज्यों से झुंड मंगाने पर रोक लगा दी गई है. सभी किसान अब अपने झुंडों की जांच करवा रहे हैं और संक्रमित कीट को हाथ से पकड़ कर नष्ट करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही विशेषज्ञ किसानों को प्रशिक्षण और जागरूकता सत्र भी दे रहे हैं.

मधुमक्खी पालकों की प्रतिक्रिया

पंजाब के मंसा जिले के मधुमक्खी पालक गुरमीत सिंह ने बताया कि उनका झुंड भी कीट से संक्रमित पाया गया. उन्होंने कहा, “मैंने कोई नया झुंड नहीं खरीदा था. संभव है कि पास के संक्रमित झुंड से यह कीट हमारे झुंड में आया. इस साल आर्थिक नुकसान संभव है क्योंकि कीट नष्ट करने के लिए कोई कीटनाशक उपलब्ध नहीं है.”

भारत में पहले मामलों का रिकॉर्ड

इस कीट का पहला मामला 2022 में पश्चिम बंगाल जिले में सामने आया था. इसके बाद असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, हिमाचल और राजस्थान में भी इसकी पुष्टि हुई है.

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