पशुपालकों की पसंद बनी ये खास नस्ल की बकरी, गाय बराबर दूध और मीट से होती है खूब कमाई
किसानों के लिए बकरी पालन एक आसान और कम खर्च वाली कमाई का जरिया बन रहा है. ऐसी नस्लें अब उपलब्ध हैं, जो दूध और मीट दोनों में बेहतरीन उत्पादन देती हैं. सही नस्ल चुनकर किसान अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ा सकते हैं. यह खेती से जुड़ा भरोसेमंद और लाभदायक विकल्प बन चुका है.
Goat Farming : गांवों में अक्सर लोग कहते हैं– बकरी गरीब की गाय होती है. लेकिन आज जिस नस्ल की बात हो रही है, वह सिर्फ गरीब की मदद नहीं करती, बल्कि किसानों को लाखों की कमाई तक पहुंचा सकती है. यह बकरी दूध भी खूब देती है, बच्चे भी ज्यादा देती है और मीट की बाजार में डिमांड इतनी कि तुरंत बिक जाती है. नाम है–उस्मानाबादी बकरी. यह नस्ल दूध के मामले में देशी गाय को टक्कर देती है और तेजी से बढ़ने के कारण किसानों के लिए सोने की खान बन चुकी है.
बकरी पालन बना ग्रामीण किसानों के लिए मजबूत सहार
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन हमेशा से किसानों की आय का भरोसेमंद स्रोत रहा है. गाय और भैंस के साथ बकरी पालन किसानों के लिए एक ऐसा विकल्प बन गया है, जिसमें कम लागत और कम मेहनत में अच्छी कमाई हो जाती है. बकरी ऐसे जानवरों में गिनी जाती है, जिन्हें बड़े-बड़े शेड, दवाइयाँ या महंगी देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती. किसान जब चाहे दो-चार बकरियां बेचकर अपनी आर्थिक जरूरतें पूरी कर लेते हैं. यही वजह है कि बकरी पालन का चलन तेजी से बढ़ रहा है और इसमें सबसे अधिक ध्यान बकरी की नस्ल पर दिया जाता है, क्योंकि नस्ल जितनी अच्छी होगी, कमाई उतनी अधिक होगी.
नस्ल का सही चयन देगा बड़ा फायदा
बकरी पालन शुरू करने से पहले यह समझना जरूरी है कि हर नस्ल हर इलाके में नहीं पनपती. इसलिए किसानों को चाहिए कि वे अपने इलाके की जलवायु को ध्यान में रखकर ही नस्ल चुनें. इसके अलावा, यह भी देखना जरूरी है कि बाजार में किस नस्ल की मीट और दूध की ज्यादा मांग है. कोई बकरी ज्यादा बच्चे देती है, तो कोई तेजी से वजन पकड़ लेती है. वहीं कुछ नस्लें ऐसी हैं जिनका दूध बहुत कीमती माना जाता है. ये सभी बातें तय करती हैं कि किसान को बकरी पालन से कितना लाभ मिलेगा. यही कारण है कि आजकल किसान ऐसी नस्लों को चुन रहे हैं जो दूध, मीट और प्रजनन–तीनों में अच्छा प्रदर्शन करें. ऐसी ही एक बेहतरीन नस्ल है उस्मानाबादी बकरी.
उस्मानाबादी बकरी–दूध देने में देशी गाय की बराबरी
उस्मानाबादी बकरी को आज भारत की सबसे उत्पादक और प्रीमियम नस्ल माना जाता है. इसकी सबसे खास बात यह है कि यह दूध देने में देशी गाय तक की बराबरी कर लेती है. यह प्रतिदिन लगभग 3 से 3.5 किलो दूध दे देती है, जो अन्य बकरियों की तुलना में काफी ज्यादा है. इसके अलावा इसका शरीर भी मजबूत होता है और वजन तेजी से बढ़ता है, जिससे मीट उत्पादन भी अधिक मिलता है. यही कारण है कि मीट बाजार में इसकी बकरियों और बकरों की मांग हमेशा बनी रहती है. किसान इस नस्ल की एक बकरी से ब्यांत अवधि में 170 से 180 किलो तक दूध आसानी से निकाल लेते हैं, जो कमाई का बड़ा स्रोत बन जाता है.
प्रजनन क्षमता जबरदस्त–साल में दो बार बच्चे
उस्मानाबादी बकरी तेजी से बच्चे देने के लिए भी मशहूर है. यह नस्ल एक साल में दो बार बच्चे देती है और एक बार में आमतौर पर दो बच्चे जन्म ले लेते हैं. यानी एक बकरी से साल में 3 से 4 बच्चे तक मिल सकते हैं. तेजी से बढ़ने की क्षमता इसकी एक और बड़ी खूबी है. जन्म के समय ही बच्चा लगभग 2.4 किलो का होता है और कुछ ही महीनों में अच्छा वजन पकड़ लेता है. यही वजह है कि किसान इसे बहुत पसंद करते हैं, क्योंकि ज्यादा बच्चे मतलब ज्यादा कमाई.
दिखने में सुंदर और पहचानने में आसान
उस्मानाबादी बकरी का रंग ज्यादा तर काला होता है, लेकिन कई बार यह भूरा, सफेद या धब्बेदार भी देखने को मिलती है. इसके बालों की लंबाई शरीर पर कम होती है लेकिन पिछली टांगों और जांघों में बाल थोड़े लंबे नजर आते हैं. इसके कान झूलते हुए होते हैं और शरीर लंबा व मजबूत दिखता है.
इस नस्ल की खासियत यह है कि यह गर्मी, सर्दी और बारिश–हर मौसम में आसानी से ढल जाती है. कम जगह, कम दाना और साफ पानी मिलने पर भी यह तेजी से विकसित होती है. इसलिए यह नस्ल ग्रामीण किसानों के लिए बहुत उपयुक्त मानी जाती है.